क्या अयोध्या भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है?

सारांश
Key Takeaways
- अयोध्या भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है।
- तीन महान संगीत संतों की मूर्तियों का अनावरण हुआ।
- यह समारोह सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देता है।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बात की।
- बृहस्पति कुंड श्रद्धा और भक्ति का आदर्श संगम है।
अयोध्या, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का अद्भुत संगम बुधवार को अयोध्या की पावन भूमि पर देखने को मिला। दो दिवसीय दौरे पर पहुंची केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर दक्षिण भारत के तीन महान संगीत संतों, त्यागराज स्वामीगल, पुरंदर दास, और अरुणाचल कवि की मूर्तियों का बृहस्पति कुंड में भव्य अनावरण किया।
टेढ़ी बाजार स्थित बृहस्पति कुंड का वातावरण उस समय भक्तिरस और संगीत की पवित्र भावना से सरोबार हो उठा जब केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना कर अनावरण समारोह की शुरुआत की। इस दौरान वित्त मंत्री सीतारमण के माता-पिता भी मौजूद रहे, जिससे यह पल और भी भावनात्मक हो गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अयोध्या केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। उन्होंने तीनों संतों के योगदान को नमन करते हुए कहा कि त्यागराज स्वामीगल, पुरंदर दास, और अरुणाचल कवि ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति परंपरा को विश्व पटल पर स्थापित किया। उनके काव्य और रचनाओं ने समाज को प्रेम, भक्ति, और एकता के सूत्र में पिरोया। सीतारमण ने बृहस्पति कुंड की भव्यता और शांति देखकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि अयोध्या और कर्नाटक के सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने हैं। आज इन संतों की मूर्तियों के अनावरण के माध्यम से भारत की उत्तर-दक्षिण परंपरा एक सूत्र में बंधी है।
इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीराम की नगरी अयोध्या अब केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केंद्र बन रही है। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण का यह दौरा भारत की सांस्कृतिक एकता और समरसता का सशक्त प्रतीक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, और पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह बृहस्पति कुंड परिसर में स्थापित सुंदर पत्थर की बेंचों पर कुछ देर के लिए विराम लेते हुए बैठे। शांत सरोवर, मधुर वातावरण, और सुव्यवस्थित परिसर को निहारते हुए तीनों जनप्रतिनिधियों ने उस पल में अयोध्या की सौंदर्य व सांस्कृतिक गरिमा का आनंद अनुभव किया।
मुख्यमंत्री ने बेंचों की कलात्मक बनावट और परिसर के सौंदर्यीकरण की सराहना करते हुए कहा कि बृहस्पति कुंड अब श्रद्धा और सौंदर्य का आदर्श संगम बन चुका है। बृहस्पति कुंड केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है, जहां उत्तर भारत की श्रद्धा और दक्षिण भारत की भक्ति का संगम होता है।