क्या केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण अयोध्या पहुंचीं? यूपी सरकार के मंत्रियों ने किया उनका स्वागत

सारांश
Key Takeaways
- निर्मला सीतारमण का स्वागत पारंपरिक धुनों के साथ किया गया।
- अयोध्या में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया गया।
- संत संगीतज्ञों की मूर्तियों का अनावरण किया गया।
- कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रही।
- यह समारोह भारतीय संस्कृति की समरसता का प्रतीक है।
अयोध्या, ८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भगवान श्रीराम की पावन भूमि अयोध्या एक बार फिर से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षण की गवाह बनी, जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपनी दो दिवसीय यात्रा पर यहाँ पहुंचीं। महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और कृषि मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मधुर धुनों और पुष्पवर्षा के बीच उनका स्वागत हुआ, जिसने अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक आत्मा को जगा दिया। एयरपोर्ट से कड़ी सुरक्षा में निर्मला सीतारमण का काफिला सिविल लाइन्स स्थित होटल रेडिशन पहुंचा। थोड़े विश्राम के बाद, वह अपने निर्धारित कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए रवाना हुईं। उनका यह दौरा टेढ़ी बाजार में आयोजित एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए है।
इस कार्यक्रम में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर दक्षिण भारत के तीन महान संगीतज्ञों- संत त्यागराज स्वामीगल, पुरंदर दास और अरुणाचल कवि की मूर्तियों का अनावरण करेंगी। बृहस्पति कुंड परिसर में स्थापित की गई ये मूर्तियां भारतीय संगीत, भक्ति और कला परंपरा का जीवंत प्रतीक हैं।
इन संत संगीतज्ञों ने भक्ति संगीत को भारतीय संस्कृति का आत्मस्वर बनाया। अब इनकी मूर्तियों का अयोध्या की पावन भूमि पर स्थापित होना उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक एकता का अनोखा उदाहरण माना जा रहा है। वित्तमंत्री और मुख्यमंत्री बृहस्पति कुंड में प्रमुख दक्षिण भारतीय संतों की मूर्ति का अनावरण करेंगे। मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के पश्चात, दोनों राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे।
इस समारोह में प्रदेश सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी, संत-महंत और सांस्कृतिक जगत से जुड़ी हस्तियां भी मौजूद रहेंगी। अयोध्या में यह समारोह केवल कला और संगीत का उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की एकात्म भावना का प्रतीक बनने जा रहा है।