क्या बेलागंज विधानसभा क्षेत्र पर जदयू का स्थायी कब्जा होगा, या राजद अपना गढ़ बनाए रखेगा?

सारांश
Key Takeaways
- बेलागंज विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण है।
- जदयू ने हाल ही में उपचुनाव जीतकर राजद की लगातार जीतों की श्रृंखला तोड़ दी।
- 2025 में यहां राजद और जदयू के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा होगी।
- क्षेत्र की सामाजिक संरचना चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
- बेलागंज का इतिहास और सांस्कृतिक पहचान इसे खास बनाती है।
पटना, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के गया जिले का बेलागंज विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मगध क्षेत्र का हिस्सा है और गया शहर से लगभग 25 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में फल्गु नदी के किनारे स्थित है।
बेलागंज का इतिहास मगध की समृद्ध परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है। गया और बोधगया की निकटता के कारण इस क्षेत्र में बौद्ध और हिंदू दोनों परंपराओं का गहरा प्रभाव रहा है। हालांकि, बोधगया की तरह पर्यटन का विकास यहाँ नहीं हुआ है। यहाँ की प्रमुख भाषा मगही है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी बेलागंज का नाम महत्वपूर्ण है। यहाँ स्थित महाबोधि महाविद्यालय की स्थापना 1980 में हुई थी। यह मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से स्थायी रूप से संबद्ध और बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज गया रेलवे जंक्शन से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बेलागंज की आर्थिक गतिविधियाँ मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं। खेती के अलावा यहाँ चावल मिल, मिट्टी के बर्तन और हस्तशिल्प जैसे लघु उद्योग भी हैं। सामाजिक रूप से, यह एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, लेकिन यहाँ अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 29.59 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता लगभग 15.8 प्रतिशत हैं, जो चुनावी समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बेलागंज विधानसभा सीट की स्थापना 1962 में हुई थी और यह गया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। अब तक यहाँ 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं। प्रारंभिक वर्षों में यहाँ कांग्रेस का दबदबा था, जिसने पाँच बार यह सीट जीती। इसके बाद, राजद ने यहाँ अपनी पकड़ मजबूत की और सात बार जीत हासिल की। इसके अलावा, जनता दल ने दो बार, जबकि संयुक्त समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी और जदयू ने एक-एक बार जीत हासिल की है।
2024 में बेलागंज में हुए उपचुनाव ने इस क्षेत्र की राजनीति को नया मोड़ दिया। राजद के वरिष्ठ नेता और लंबे समय से विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जब जहानाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने, तो उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई। इस उपचुनाव में जदयू की मनोरमा देवी ने निर्णायक जीत हासिल की, जिससे राजद की लगातार सात जीतों की श्रृंखला टूट गई।
दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव में एनडीए के जीतन राम मांझी ने गया सीट जीती, लेकिन बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में राजद को मामूली वोटों की बढ़त मिली थी। इसके बावजूद उपचुनाव में जदयू की जीत ने संकेत दिया कि बेलागंज में एनडीए का प्रभाव बढ़ रहा है।
2025 के विधानसभा चुनावों में बेलागंज एक बार फिर राजद बनाम जदयू की सीधी लड़ाई का गवाह बनेगा। महागठबंधन की ओर से संभावना है कि सुरेंद्र यादव अपने बेटे को इस सीट से उम्मीदवार बनाएंगे, ताकि पारिवारिक पकड़ बरकरार रखी जा सके। दूसरी ओर, एनडीए की ओर से मनोरमा देवी एक मजबूत दावेदार होंगी, जिन्होंने पिछले चुनाव में राजद के किले को ध्वस्त किया था।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यहाँ की कुल जनसंख्या 5,79,595 है, जिसमें 2,47,158 पुरुष और 2,32,337 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, मतदाताओं की बात करें तो यहाँ 1,49,253 पुरुष मतदाता, 1,36,943 महिला मतदाता और 4 थर्ड जेंडर के मतदाता हैं।
बेलागंज में इस बार की लड़ाई को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। एक ओर राजद अपने पुराने गढ़ को बचाने के लिए प्रयासरत है, तो दूसरी ओर जदयू अपनी उपचुनाव जीत को स्थायी बनाना चाहती है।