क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में भारत किसी तीसरे देश के दबाव में कोई फैसला लेगा?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की विदेश नीति संप्रभुता पर आधारित है।
- किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं होता।
- नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आत्मनिर्भरता का प्रयास किया है।
- आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत तैयार है।
- पाकिस्तान के साथ तनाव के समय में भारत ने संयम रखा।
गोड्डा, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने स्पष्ट किया है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत कोई भी निर्णय किसी भी तीसरे देश के दबाव या हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप नहीं करेगा।
कांग्रेस द्वारा भारत की विदेश नीति की असफलता के आरोप पर निशिकांत दुबे ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा, "भारत एक संप्रभु राष्ट्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी शर्तों पर किसी भी देश के साथ समझौता या वार्ता करते हैं, जिसमें किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप नहीं होता। ऐसे में विदेश नीति की असफलता का प्रश्न ही नहीं उठता।"
नरेंद्र मोदी जी7 की बैठक में भाग लेने के लिए कनाडा पहुंचे थे, जहां डोनाल्ड ट्रंप भी थे, लेकिन ट्रंप मोदी से मिलने से पहले ही अमेरिका लौट गए। कांग्रेस इसे भारत की विदेश नीति की विफलता मानती है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के खत्म होने के बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया था जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति को सामान्य करने और सीजफायर लागू करने का श्रेय अपने आप को दिया। इस पर निशिकांत दुबे ने कहा कि पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान, उसके डीजीएमओ की तरफ से सीजफायर का अनुरोध किया गया था। हमने बिना किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप के पाकिस्तान पर हमले को रोका था।
दुबे ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने किसी भी तीसरे देश के दबाव या हस्तक्षेप के कारण कोई निर्णय नहीं लिया है। भविष्य में भी हमारा यही स्पष्ट रुख रहेगा। यदि पाकिस्तान की तरफ से भविष्य में कोई आतंकवादी घटना होती है, तो जिस तरह से हमने इस बार उसके घर में घुसकर प्रहार किया था, हम और भी प्रभावी तरीके से जवाब देंगे और उसे तबाह कर देंगे।