क्या भारत ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार की? ट्रंप के साथ बातचीत में पीएम मोदी की दो टूक

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क्या भारत ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार की? ट्रंप के साथ बातचीत में पीएम मोदी की दो टूक

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर के मामले में अमेरिका की भूमिका को नकारा है। ट्रंप के साथ हुई बातचीत में मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत हमेशा से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार करता आया है। जानिए इस महत्वपूर्ण बातचीत के बारे में और क्या कहा मोदी ने।

Key Takeaways

  • भारत ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं किया।
  • ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत की स्थिति स्पष्ट है।
  • ट्रंप और मोदी की बातचीत ने भारत की आतंकवाद के प्रति दृढ़ता को दर्शाया।
  • भारत अब आतंकवाद को युद्ध के रूप में देखता है।
  • भविष्य में दोनों नेताओं के बीच बैठक की उम्मीद है।

नई दिल्ली, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर के मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ 35 मिनट की बातचीत में पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत ने कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है और भविष्य में भी ऐसा नहीं करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस बातचीत की जानकारी मीडिया को दी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। दोनों नेताओं की मुलाकात कनाडा में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान होनी थी, लेकिन ट्रंप को जल्दी अमेरिका लौटना पड़ा, जिससे यह मुलाकात नहीं हो पाई। ट्रंप के अनुरोध पर आज लगभग 35 मिनट तक दोनों नेताओं ने बात की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पीएम मोदी और ट्रंप के बीच पहली बातचीत थी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "पीएम मोदी ने ट्रंप को स्पष्ट रूप से बताया कि ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित कभी भी भारत-अमेरिका व्यापारिक समझौते या अमेरिका की ओर से भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के विषय पर चर्चा नहीं हुई। सैन्य कार्रवाई की बात सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी और यह पाकिस्तान के अनुरोध पर हुई थी।"

मोदी और ट्रंप की बातचीत के बारे में विक्रम मिस्री ने बताया, "प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप से ऑपरेशन सिंदूर के विषय में विस्तार से चर्चा की। मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया था। 6-7 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।"

विदेश सचिव के मुताबिक, 9 मई की रात को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी को फोन किया और कहा कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है। मोदी ने उन्हें स्पष्ट किया कि यदि ऐसा हुआ तो भारत पाकिस्तान को उससे भी बड़ा जवाब देगा। 9-10 मई को पाकिस्तान के हमले का भारत ने प्रभावी जवाब दिया और पाकिस्तान की सेना को नुकसान पहुंचाया।

विदेश सचिव के अनुसार, पीएम मोदी ने ट्रंप से बातचीत में साफ कहा कि भारत अब आतंकवाद को प्रॉक्सी युद्ध नहीं, बल्कि सशस्त्र संघर्ष के रूप में देखता है और "ऑपरेशन सिंदूर" अभी भी जारी है। ट्रंप ने मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटते समय अमेरिका में रुक सकते हैं। पूर्व-निर्धारित कार्यक्रमों के कारण मोदी ने असमर्थता व्यक्त की। दोनों नेताओं ने निकट भविष्य में मुलाकात पर सहमति व्यक्त की।

Point of View

NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

क्या भारत ने कभी अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार की है?
नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत ने कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है।
क्या ट्रंप और मोदी की बातचीत में कोई नई जानकारी सामने आई?
जी हां, इस बातचीत में मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी ठोस नीति को स्पष्ट किया।
ऑपरेशन सिंदूर का क्या मतलब है?
ऑपरेशन सिंदूर का मतलब है कि भारत ने पाकिस्तान और उसके अधिकृत क्षेत्रों में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई की।