क्या नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी ने आत्मसमर्पण किया?

सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश सिंह भोक्ता ने आत्मसमर्पण किया।
- पुलिस की दबिश का प्रभावी परिणाम।
- बरामद किए गए आईईडी की संख्या 60 थी।
- नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की नीति का महत्व।
- आत्मसमर्पण के बाद पुनर्वास की प्रक्रिया।
गया, 20 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार पुलिस की दबिश और निरंतर छापेमारी के चलते तीन लाख रुपये का इनामी एवं कुख्यात नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी ने हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने शुक्रवार को बताया कि आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली संगठन में सब-जोनल कमांडर था।
छकरबंधा के कचनार गांव के निवासी अखिलेश भोक्ता ने सेमी-ऑटोमेटिक राइफल (मैगजीन सहित) के साथ आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण के बाद नक्सली सब-जोनल कमांडर अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी के बयान के आधार पर कचनार गांव के जंगल में जमीन में छिपाए गए 60 आईईडी बरामद किए गए। बरामद आईईडी का वजन लगभग एक किलोग्राम था। सुरक्षा बलों ने इन्हें मौके पर ही नष्ट कर दिया। इस कार्रवाई में सीआरपीएफ, एसएसबी एवं बीएसएपी का भी सहयोग लिया गया।
पुलिस के अनुसार, अखिलेश सिंह भोक्ता पिछले 10 वर्षों से फरार था। पुलिस इसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास कर रही थी। यह गया एवं औरंगाबाद जिले के विभिन्न थानों में 17 से अधिक नक्सली कांडों में संलिप्त रहा है। पुलिस ने इसके आत्मसमर्पण के बाद छकरबंधा क्षेत्र में नक्सलियों के समाप्त होने का भी दावा किया।
बताया गया कि उस पर आमस थाना क्षेत्र में महापुर स्थित सोलर प्लांट को आग के हवाले करने का आरोप है, जबकि देव थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या और सात वाहनों में आग लगाने, लुटुआ थाना क्षेत्र में आईईडी विस्फोट करने का आरोप है। इस विस्फोट में एक पुलिस अवर निरीक्षक शहीद हो गए थे और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
इसके अलावा, अखिलेश सिंह भोक्ता पर डुमरिया थाना क्षेत्र में चार ग्रामीणों को गले में फंदा लगाकर हत्या करने का भी आरोप है। एसएसपी ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत अखिलेश सिंह भोक्ता को सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।