क्या केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों को मिला?

सारांश
Key Takeaways
- सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. याघी को केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार मिला।
- यह पुरस्कार धातु-कार्बनिक ढांचे के विकास के लिए है।
- इस खोज का उपयोग रेगिस्तानी हवा से पानी इकट्ठा करने में किया जा सकता है।
- विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना और अन्य पुरस्कार मिलेंगे।
- यह पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिया जाएगा।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने आज केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की। यह ऐलान दोपहर करीब 3:15 बजे किया गया। सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. याघी को "धातु-कार्बनिक ढांचे के विकास के लिए" 2025 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है।
सुसुमु कितागावा जापान के क्योतो विश्वविद्यालय, रिचर्ड रॉबसन मेलबर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया और याघी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले, संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत हैं।
वैज्ञानिकों ने मेटल-कार्बनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) को सुधारने का एक नया तरीका खोजा है। यह फ्रेमवर्क धातु और कार्बनिक तत्वों से मिलकर बनते हैं और इनमें छोटे-छोटे छिद्र होते हैं।
इनका उपयोग गैसों को संग्रहित करने, हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने और रासायनिक प्रक्रियाओं में सहायता के लिए किया जा सकता है।
पुरस्कार विजेताओं ने एक नई प्रकार की आणविक संरचना विकसित की है। उनके द्वारा निर्मित संरचनाएं - मेटल-कार्बनिक ढांचे - में बड़े छिद्र होते हैं जिनमें अणु आसानी से प्रवाहित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इनका उपयोग रेगिस्तानी हवा से पानी इकट्ठा करने, पानी से प्रदूषक निकालने, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और हाइड्रोजन को संग्रहित करने के लिए किया है।
नोबेल प्राइज डॉट ओआरजी में इस खोज का उल्लेख किया गया है। इस वैज्ञानिक खोज की बारीकियों को बताते हुए एकेडमी के विशेषज्ञ ने कहा कि ये ऐसे एटम्स/मॉलिक्युल्स हैं जो हैरी पॉटर की कैरेक्टर हरमाइन ग्रेंजर के हैंड बैग में समा सकते हैं।
केमिस्ट्री नोबेल हर साल उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिन्होंने ऐसी खोज की हो जो जीवन या पर्यावरण में सुधार लाने में योगदान देती है।
नोबेल प्राइज डॉट ओआरजी के अनुसार रसायन क्षेत्र में इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले सबसे वरिष्ठ वैज्ञानिक 97 सालगुडइनफ थे। उन्हें 2017 में यह सम्मान मिला। वहीं, 35 सालफ्रेडरिक जोलिएट को 1935 में नोबेल मिला और वह अब तक के इतिहास में सबसे कम उम्र में यह सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्ति बन गए।
विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट प्राप्त होगा। यदि एक से अधिक वैज्ञानिक पुरस्कार जीतते हैं, तो यह पुरस्कार राशि उनके बीच बांट दी जाती है। यह पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में प्रदान किए जाएंगे।