क्या जज्बे के साथ बुराइयों को दूर करना और अच्छा नागरिक बनना भी जिहाद है? : दिग्विजय सिंह

सारांश
Key Takeaways
- जिहाद का सही अर्थ समझना आवश्यक है।
- राजनीतिक दलों को धार्मिक मुद्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- सभी भारतीयों को पहले भारतीय समझना चाहिए।
- संविधान के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
- सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए एकजुट होना जरूरी है।
इंदौर, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के इंदौर में लव जिहाद विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शनिवार को इंदौर में सीतला माता बाजार के सराफा थाने का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिहाद का सही अर्थ समझा जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "जिहाद का अर्थ सबसे पहले आप समझ लीजिए। अगर मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी बोलना है तो उसे जिहादी कह दिया जाता है। जिहाद वह शब्द है जो जज्बे के साथ हो, प्रेरणा के साथ अपनी बुराइयों को दूर करे और अपने आपको एक अच्छा नागरिक बनाए, इसे भी जिहाद कहते हैं।"
उन्होंने भाजपा पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा, "जिस प्रकार से धर्म के ठेकेदार इस देश में धर्म को बेच रहे हैं, अब नया चलन 'आई लव मोहम्मद' आ गया है। इसमें भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मैं हिंदू हूं, 'आई लव राम,' 'आई लव कृष्ण,' 'आई लव विष्णु।' हमारे बौद्ध भाई 'आई लव गौतम बुद्ध' और 'जय भीम' कहते हैं। जैन 'आई लव महावीर' बोलते हैं, लेकिन इन्हें भी आज कम्युनलाइजेशन कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा कि सबसे पहले हम भारतीय हैं और फिर किसी धर्म के अनुयायी। इस मानसिकता को जब तक नहीं समझेंगे, भारतीय संविधान को नहीं समझ पाएंगे। जिस प्रकार से वर्गों के साथ अन्याय किया जा रहा है, यह संवैधानिक कानून के खिलाफ है।
कांग्रेस नेता का यह बयान इंदौर में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच आया है। हाल ही में भाजपा विधायक मालिनी गौर के बेटे अकलव्य सिंह गौर ने सीतला माता बाजार के व्यापारियों को निर्देश दिया था कि 'लव जिहाद' के नाम पर मुस्लिम सेल्समैनों को नौकरी से निकाल दें। 25 सितंबर तक ऐसा न करने पर दुकानों का बहिष्कार करने की धमकी दी गई।
दिग्विजय सिंह ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, "मुस्लिम युवाओं को नौकरी से निकालने का आदेश कौन देता है? यह किस प्रकार की सरकार है?"