क्या दिवाली के बाद जहरीली हवा से सेहत को खतरा है?

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क्या दिवाली के बाद जहरीली हवा से सेहत को खतरा है?

सारांश

दिवाली की रात की खुशियों के बाद, हवा की स्थिति चिंताजनक है। जानिए कैसे बचें इस समस्या से और अपनी सेहत का ध्यान रखें। जानें आसान उपाय, जैसे सही आहार और मास्क का उपयोग।

Key Takeaways

  • दिवाली के बाद की हवा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।
  • सुरक्षित मास्क का उपयोग करें।
  • घरेलू नुस्खे जैसे तुलसी और अदरक का सेवन करें।
  • हल्का और सुपाच्य आहार अपनाएं।
  • पर्याप्त नींद लेना जरूरी है।

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिवाली की चमकदार रात हर किसी के दिल में आनंद भर देती है, लेकिन उसके बाद की सुबह अक्सर सांसों में घुटन और आसमान में धुएं का एक घना आवरण छोड़ देती है। 20 अक्टूबर 2025 की सुबह, देश के कई शहरों ने त्योहार की खुशी के बाद जहरीली हवा का कड़वा सच अनुभव किया। दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई 450 से 500 के बीच दर्ज किया गया, जो कि “गंभीर श्रेणी” में आता है। यह वही स्तर है जहां सांस लेना न केवल मुश्किल होता है, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है।

पटाखों की आवाज भले ही कुछ समय के लिए हो, लेकिन उनका धुआं हवा में लंबे समय तक बना रहता है। इस धुएं में पाए जाने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में पहुंचते हैं। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार, पीएम 2.5 का सुरक्षित स्तर 25 माइक्रोग्राम/मी3 होना चाहिए, लेकिन 20 अक्टूबर की सुबह दिल्ली के कुछ हिस्सों में यह 350 माइक्रोग्राम/मी3 को पार कर गया। यही कारण है कि त्योहार के तुरंत बाद अस्पतालों में खांसी, तेज सांस, अस्थमा अटैक और आंखों में जलन के मामले बढ़ जाते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव स्पष्ट होता है, क्योंकि उनकी श्वसन क्षमता पहले से ही संवेदनशील होती है।

आयुर्वेद इस स्थिति को ‘दूषित वायु से उत्पन्न विकार’ मानता है। प्राणवायु यानी जीवन देने वाली हवा जब प्रदूषित हो जाती है, तो शरीर में आम (टॉक्सिन) बढ़ता है और कफ मार्ग में अवरोध पैदा करता है। दिवाली के बाद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि शरीर की शुद्धि और अग्नि (पाचन शक्ति) को संतुलित करना आवश्यक होता है। नस्य कर्म—नाक में तिल के तेल या घी की दो बूंदें डालना—एक प्राचीन उपाय है जो नाक की श्लेष्म परत को सुरक्षित करता है और प्रदूषण के असर को कम करता है। यह न केवल नाक की सफाई करता है, बल्कि सांस की ढाल भी बनता है।

दैनिक जीवन में आसान कदम भी काफी मददगार हो सकते हैं। सुबह के समय बिना मास्क बाहर निकलना हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर एन-95 या एन-99 मास्क पहनने की सलाह देते हैं, क्योंकि यही पीएम 2.5 तक को रोक सकते हैं। घरेलू नुस्खों की बात करें तो तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा शरीर में जमा कफ को तोड़ता है और गले की जलन को शांत करता है। गुड़ और काली मिर्च का सेवन, हल्दी वाला दूध या मुलेठी चूर्ण भी श्वसन तंत्र को राहत देता है। आयुर्वेद कहता है कि गरम पानी का धीरे-धीरे सेवन प्रदूषण से जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

भोजन का चयन भी इस समय विशेष मायने रखता है। दिवाली के दौरान भारी, तैलीय और मीठा भोजन शरीर को थका देता है। ऐसे में त्योहार के बाद हल्का, सुपाच्य आहार—जैसे मूंग दाल खिचड़ी, लौकी, या जीरा-हींग वाला सूप—अग्नि को पुनर्जीवित करता है। रात को देर तक जागने की आदत भी शरीर पर असर डालती है। आयुर्वेद “दिवाली के बाद विश्राम” को शरीर के लिए आवश्यक मानता है। नींद केवल थकान को नहीं मिटाती, बल्कि फेफड़ों की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दिवाली के बाद की स्थिति एक गंभीर चिंता का विषय है। प्रदूषण के स्तर में वृद्धि से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों में। इस विषय पर जागरूकता फैलाना और सुरक्षित उपाय अपनाना हमारे लिए आवश्यक है।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

दिवाली के बाद एक्यूआई इतना ऊँचा क्यों होता है?
दिवाली के समय पटाखों के जलने और अन्य प्रदूषित कारकों के कारण एक्यूआई में वृद्धि होती है।
क्या हम घर पर रहकर भी प्रदूषण से बच सकते हैं?
हां, घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने और खिड़कियों को बंद रखने से प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
कौन से मास्क सबसे प्रभावी हैं?
एन-95 या एन-99 मास्क सबसे प्रभावी होते हैं, क्योंकि ये पीएम 2.5 कणों को रोक सकते हैं।
क्या घरेलू उपायों से मदद मिल सकती है?
जी हां, तुलसी, अदरक और हल्दी का सेवन फेफड़ों के लिए लाभदायक होता है।
दिवाली के बाद का भोजन कैसा होना चाहिए?
दिवाली के बाद हल्का और सुपाच्य आहार लेना चाहिए, जैसे मूंग दाल खिचड़ी।