क्या जेन-जी ने डूसू चुनावों में राष्ट्र निर्माण को समर्थन दिया?

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क्या जेन-जी ने डूसू चुनावों में राष्ट्र निर्माण को समर्थन दिया?

सारांश

डूसू चुनावों में एबीवीपी की जीत ने दिखाया कि आज का युवा राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। जानिए इस चुनाव में क्या खास रहा और किस प्रकार एबीवीपी ने एक बार फिर से अपनी ताकत साबित की है।

Key Takeaways

  • एबीवीपी ने डूसू चुनावों में तीन प्रमुख पदों पर जीत हासिल की।
  • एनएसयूआई को उपाध्यक्ष पद मिला।
  • यह चुनाव जेन-जी पीढ़ी की राष्ट्रनिष्ठता को दर्शाता है।
  • डूसू के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार और जातिवाद का विरोध किया।
  • छात्रों ने राष्ट्र निर्माण में सक्रियता दिखाई है।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों के परिणामों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने तीन प्रमुख पदों - अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पर अपनी पकड़ बनाई है। वहीं, एनएसयूआई को उपाध्यक्ष पद मिला है। एबीवीपी की स्पष्ट जीत 3-1 से हुई है।

एबीवीपी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के जेन-जी वाले पोस्ट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत के जेन-जी ने डूसू चुनावों में राष्ट्र निर्माण में अपना समर्थन दिया है।

एबीवीपी के अनुसार, डूसू अध्यक्ष पद पर आर्यन मान ने 16,196 मतों के अंतर से, सचिव पद पर कुणाल चौधरी ने 7,662 मतों के अंतर से, और संयुक्त सचिव पद पर दीपिका झा ने 4,445 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर एबीवीपी की दूसरी सबसे बड़ी जीत है। इस जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज के विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, और यह विध्वंसक विचारधारा की हार है।

एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने इस जीत पर कहा कि एबीवीपी की देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में जीत लोकतंत्र के प्रति आस्थावान विचार की जीत है। विद्यार्थी परिषद ने छात्रों और युवाओं के शिक्षा क्षेत्र के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। कांग्रेस और एनएसयूआई ने डूसू चुनाव में छात्रों को भ्रमित करने का प्रयास किया, जिसे विद्यार्थियों ने पूरी तरह नकार दिया है।

डूसू के नवनिर्वाचित अध्यक्ष आर्यन मान ने कहा कि यह विजय जेन-जी पीढ़ी की उस राष्ट्रनिष्ठ चेतना की प्रतिध्वनि है, जो भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि मानती है। दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वे देशविरोधी गतिविधियों का प्रतिरोध करने में सक्षम हैं। यह जीत उस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ छात्रों के प्रतिरोध का प्रतीक है, जिसे एनएसयूआई और कांग्रेस पार्टी थोपना चाहती थी।

डूसू के नवनिर्वाचित सचिव कुणाल चौधरी ने कहा कि यह परिणाम इस बात का प्रमाण है कि आज का युवा राष्ट्रहित, छात्रहित और पारदर्शिता की राह चुन रहा है। कांग्रेस और एनएसयूआई ने वर्षों से जो भ्रष्टाचार का प्रयास किया, उसे विद्यार्थियों ने नकार दिया है।

डूसू की नवनिर्वाचित सह-सचिव दीपिका झा ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ में एबीवीपी ने दशकों से छात्राओं को न केवल सशक्त प्रतिनिधित्व दिया है, बल्कि उनकी जीत भी सुनिश्चित की है। मेरी जीत भी संगठन की कुशल रणनीति और कार्यकर्ताओं के समर्पण का परिणाम है। पिछले दस वर्षों में डूसू में छात्रा प्रत्याशी निरंतर एबीवीपी की होती रही हैं, और यह परंपरा इस बार भी कायम रही है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि डूसू चुनावों का परिणाम इस बात का प्रमाण है कि आज के युवा भारत के भविष्य के प्रति गंभीर हैं। एबीवीपी की जीत न केवल उनकी रणनीति का परिणाम है, बल्कि यह दर्शाता है कि छात्र राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।
NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

डूसू चुनावों में एबीवीपी की जीत का क्या महत्व है?
एबीवीपी की जीत यह दर्शाती है कि आज का युवा राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। यह जीत केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक सन्देश भी है।
एनएसयूआई को उपाध्यक्ष पद क्यों मिला?
इस चुनाव में एनएसयूआई को केवल उपाध्यक्ष पद मिला है, जो यह दर्शाता है कि एबीवीपी की लोकप्रियता और समर्थन अधिक है।
जेन-जी पीढ़ी का क्या योगदान है?
जेन-जी पीढ़ी ने इस चुनाव में अपने विचारों और समर्थन के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।