क्या ईसीआई ने बिहार के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया गया।
- सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आधार कार्ड के महत्व को रेखांकित करता है।
- लाखों मतदाता अब मतदान करने में सक्षम होंगे।
- ईसीआई ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण पर सख्त कदम उठाए हैं।
- आधार केवल पहचान के लिए उपयोग किया जाएगा, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को एक पत्र भेजकर बिहार के मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में 12वें दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ये निर्देश दिए गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बिहार एसआईआर मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि आधार कार्ड अधिनियम, 2016 के तहत नागरिकता का प्रमाण नहीं है। फिर भी, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) के अनुसार, यह व्यक्ति की पहचान स्थापित करने हेतु एक वैध दस्तावेज है।
कोर्ट ने कहा, "आधार कार्ड को बिहार की संशोधित मतदाता सूची में पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इसे 12वें दस्तावेज के रूप में मान्यता दी जाएगी।" इसके साथ ही, अधिकारियों को आधार की प्रामाणिकता की सत्यापन का अधिकार भी होगा, जैसा कि अन्य दस्तावेजों के साथ होता है।
यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले आया है, जब लाखों मतदाता दस्तावेजों की कमी के कारण मतदाता सूची से बाहर होने की आशंका का सामना कर रहे थे।
ईसीआई के पत्र में यह भी बताया गया कि आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल किया जाएगा। आधार अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, इसे केवल पहचान के लिए उपयोग किया जाएगा, ना कि नागरिकता के प्रमाण के रूप में।
यह निर्णय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और अन्य विपक्षी दलों की याचिकाओं के बाद आया है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) आधार को स्वतंत्र दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि गरीब मतदाता, जिनके पास केवल आधार है, वोटिंग अधिकार से वंचित हो रहे हैं। ईसीआई के वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.6 प्रतिशत ने दस्तावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
इसके अतिरिक्त, ईसीआई ने चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण पर सख्त कदम उठाए हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत राष्ट्रीय, राज्य और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की जांच को तेज किया गया है।
--आईएनएस