क्या जीएसटी सुधार से महंगाई में 75 आधार अंक की कमी और खपत में 1 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि संभव है?

सारांश
Key Takeaways
- महंगाई में कमी का अनुमान 75 आधार अंक है।
- उपभोग व्यय में 1 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हो सकती है।
- सरकार ने 48,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्रभाव आंका है।
- खाद्य मुद्रास्फीति में 25-35 आधार अंक की गिरावट की उम्मीद है।
- कम दरों से निजी उपभोग में वृद्धि संभव है।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में जीएसटी सुधार से मुख्य मुद्रास्फीति में 75 आधार अंकों तक की कमी आ सकती है और उपभोग व्यय में 1 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि होने की संभावना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अनुसंधान शाखा की रिपोर्ट में कहा गया है, "उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर इसका कुल प्रभाव लगभग 55-75 आधार अंक होने की उम्मीद है। इसलिए, हम हेडलाइन सीपीआई के अपने पूर्वानुमान को 3.5 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।"
विश्लेषकों के अनुसार, जीएसटी सुधारों से प्रभावी कर दरें लगभग 10-11 प्रतिशत तक कम हो जाएंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा अनुमान है कि कर योग्य उपभोग समूह 150-160 लाख करोड़ रुपए का होगा। हर श्रेणी में जीएसटी संग्रह का नया अनुपात मिलने के बाद यह राशि और अधिक बढ़ सकती है।"
बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि हमारा पूर्वानुमान है कि उपभोग में 70,000 करोड़ रुपए से 1 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ होगा, जो सकल घरेलू उत्पाद का 0.2-0.3 प्रतिशत है।
सरकार ने राजस्व पर 48,000 करोड़ रुपए का प्रभाव आंका है। हालांकि, बैंक ने कहा कि इसका सीधा लाभ निजी उपभोग को होगा।
कम अप्रत्यक्ष कर दरें मुद्रास्फीति को कम करने की धारणा पर हमें लगभग 20,000-50,000 करोड़ रुपए का लाभ होने की उम्मीद है।
बैंक ने अनुमान लगाया है कि अगले 6 महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में 25-35 आधार अंकों की कमी आएगी, क्योंकि मक्खन और वनस्पति की कीमतों में गिरावट के कारण प्रीपेयर्ड मील्स, तेल, ब्रेड और नूडल्स सस्ते हो गए हैं।
साबुन, टूथपेस्ट, घरेलू उपकरणों और दवाओं पर कम दरों के कारण कोर मुद्रास्फीति में 30-40 आधार अंकों की कमी आ सकती है।
कम दरों से मक्खन, जैम, जेली, शहद और जूस जैसी नॉन-ड्यूरेबल उत्पादों के उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद है। साथ ही, त्योहारी सीजन से पहले ऋण की मांग में भी वृद्धि होने की संभावना है।
बैंक ने कहा कि इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) की वृद्धि को घरेलू मांग से महत्वपूर्ण समर्थन मिल सकता है।