क्या गुजरात में 'लखपति दीदी' की संख्या 5 लाख के पार हो गई?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में 5 लाख से अधिक महिलाएं 'लखपति दीदी' बनी हैं।
- योजना का लक्ष्य 2027 तक 3 करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।
- महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता मिल रही है।
- डिजिटल आजीविका रजिस्टर के माध्यम से डेटा अपडेट किया जा रहा है।
- यह योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सहायक है।
गांधीनगर, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में ‘लखपति दीदी’ योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2027 तक 3 करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।
गुजरात की महिलाओं को इस योजना का अधिकतम लाभ मिले, इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप जुलाई 2025 तक राज्य में लगभग 5 लाख 96 महिलाओं की आय एक लाख रुपए से अधिक हो चुकी है और वे गर्व से गुजरात की ‘लखपति दीदी’ बन गई हैं।
भविष्य में गुजरात 10 लाख महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने में मदद करके महिला सशक्तीकरण का एक अभूतपूर्व उदाहरण स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य के प्रशिक्षित कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) ने हाल ही में 10.74 लाख महिलाओं की पहचान की है, जो ‘लखपति दीदी’ बन सकती हैं। पहचान की गई महिलाओं की गतिविधियों और उनके पास उपलब्ध संसाधनों, खर्च, और आय के विवरण के लिए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ‘डिजिटल आजीविका रजिस्टर’ तैयार किया है। इस रजिस्टर से प्राप्त जानकारी के आधार पर पहचानी गई ‘लखपति दीदी’ को उनकी आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और मार्केटिंग के लिए आवश्यक समर्थन दिया जा रहा है।
यह योजना स्वयं-सहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने में मदद करती है, जिससे उनकी वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो सके। महिलाएं कृषि, पशुपालन, हस्तकला और अन्य स्थानीय क्षेत्रों में व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। इसके लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं से प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और बाजार से जुड़ने की सुविधा दी जाती है, जिससे उनकी आय में वृद्धि संभव हो सके।
इस योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए गुजरात सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। तहसील स्तर पर 124 मास्टर ट्रेनर्स की नियुक्ति की गई है, जिन्होंने अब तक 10 हजार से अधिक कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन्स (सीआरपी) को प्रशिक्षण दिया है। ये सीआरपी स्वयं-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सहयोग देंगे। इस समग्र प्रक्रिया के लिए ‘डिजिटल आजीविका रजिस्टर’ पर डेटा अपडेट किया जाता है, जो देखरेख के साथ महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और मार्केट से जुड़ने में मदद करता है।
‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम को राज्य सरकार ने सफलतापूर्वक धरातल पर लागू किया है। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं के जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। सूरत की महुवा तहसील के शेखपुर गांव की अंकिताबेन पीनलभाई पटेल ने वर्ष 2024 में ड्रोन पायलट के रूप में कार्य शुरू किया था। केवल एक वर्ष में ही उन्होंने ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव कर 2 लाख रुपए की कमाई की है। यह कार्य शुरू करने से पहले वे परिवार के साथ खेती करके जीवनयापन करती थीं।
अंकिता बेन कहती हैं, "अब किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। हमें ऑर्डर भी लगातार मिल रहे हैं और अच्छी आय भी हो रही है। मेरे पति की ओर से भी मुझे पर्याप्त समर्थन मिलता है। मेरे परिवार को मेरे इस कार्य से बहुत आर्थिक सहायता हुई है।"
केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ‘लखपति दीदी’ के लिए निम्नलिखित विवरण के अनुसार आय की गणना की जाती है :-
कृषि और उससे जुड़े व्यवसाय की वर्ष के दौरान कुल आय।
नॉन-फार्म एक्टिविटी जैसे मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग, सर्विसेज आदि की आय।
परिवार में कोई व्यक्ति नौकरी करता हो, तो उसकी आय।
फार्म और नॉन-फार्म व्यवसाय में मजदूरी कार्य से प्राप्त होने वाली आय।
सरकार के योजनागत लाभों से प्राप्त राशि।
कमीशन, मानद वेतन से प्राप्त आय।