क्या गुजरात समुद्री मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है? 2024-25 में 10.37 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन का अनुमान

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात में ब्लू इकोनॉमी का विकास हो रहा है।
- 2024-25 में कुल 10.37 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन का अनुमान है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का कार्यान्वयन हो रहा है।
- गुजरात में नई नीतियाँ और पहल लागू की गई हैं।
- मछुआरों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए योजनाएँ बन रही हैं।
गांधीनगर, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में ब्लू इकोनॉमी के विकास पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था, ''हम एक ऐसे भविष्य की ओर अग्रसर हैं, जहां ब्लू इकोनॉमी, ग्रीन प्लेनेट के निर्माण का एक माध्यम बनेगी।'' गुजरात के पास देश की सबसे लंबी 2340.62 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जो ब्लू इकोनॉमी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में, गुजरात सरकार ने मत्स्य उत्पादन में वृद्धि करने और मछुआरों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न प्रोत्साहक पहल और नीतियाँ लागू की हैं। इसके परिणामस्वरूप, आज गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है।
गुजरात समुद्री मछली के उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। पिछले चार वर्षों में, राज्य में औसत वार्षिक मत्स्य उत्पादन 8.56 लाख मीट्रिक टन रहा है। वर्ष 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में, राज्य में समुद्री मछली का उत्पादन 7,04,828 मीट्रिक टन और अंतरदेशीय मछली का उत्पादन 2,03,073 मीट्रिक टन था। इस प्रकार, वर्ष 2023-24 में राज्य का कुल मछली उत्पादन लगभग 9,07,901 मीट्रिक टन रहा। वर्ष 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) में राज्य में अनुमानित 7,64,343 मीट्रिक टन समुद्री मछली उत्पादन और 2,72,430 मीट्रिक टन अंतरदेशीय मछली उत्पादन के साथ कुल मछली उत्पादन लगभग 10,36,773 मीट्रिक टन होने का अनुमान है।
मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने तथा मछुआरों की आजीविका में सुधार के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) लागू की है। इस योजना के अंतर्गत मत्स्योद्योग के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास प्राथमिकता पर है। पीएमएमएसवाई का उद्देश्य मत्स्य उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता से लेकर तकनीकी, पोस्ट-हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और मार्केटिंग तक मत्स्य पालन वैल्यू चेन में विद्यमान महत्वपूर्ण खामियों को दूर करना है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य वैल्यू चेन को आधुनिक बनाना, ट्रेसेबिलिटी बढ़ाना और एक मजबूत मत्स्य पालन प्रबंधन ढांचा स्थापित करना है, जिससे मछुआरों का सामाजिक और आर्थिक कल्याण सुनिश्चित हो सके।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत, गुजरात में वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक विभिन्न घटक परियोजनाओं के लिए भारत सरकार द्वारा कुल 897.54 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। वर्ष 2025-26 के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत गुजरात को 50 करोड़ रुपए की ग्रांट आवंटित की गई है, जिससे राज्य में मत्स्य पालन की गतिविधियों को गति मिल रही है।
गुजरात के 2340.62 किमी लंबे समुद्री तट की संपूर्ण क्षमता का लाभ उठाने के लिए, राज्य सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र में कई पहल शुरू की हैं। इनमें डीजल वैट की दर में कमी, केरोसिन और पेट्रोल की खरीद पर सब्सिडी, झींगा मछलियों के पालन के लिए भूमि प्रदान करना, सड़क और बिजली की सुविधाएं, और छोटे मछुआरों के बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल हैं। इसके साथ ही, माढवाड़, नवाबंदर, वेरावल-2 और सूत्रापाडा में चार नए मत्स्य बंदरगाहों का निर्माण किया जा रहा है।
चालू वर्ष 2025-26 के लिए राज्य सरकार द्वारा मत्स्योद्योग विकास के लिए विभिन्न पहलें शुरू की गई हैं। इनमें मत्स्य पालन और उत्पादन के लिए बायोफ्लोक/रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) की स्थापना में सहायता, झींगा तालाब की पूर्व तैयारी के लिए दवाई, मिनरल और भोजन के रूप में प्रोबायोटिक की खरीद पर सहायता, केज कल्चर के लिए सहायता शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक बोट बिल्डिंग यार्ड की स्थापना, बोट मालिकों, मत्स्योद्योग सहकारी मंडलियों और मत्स्य व्यापारियों के लिए ब्लास्ट फ्रीजर और कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, परंपरागत मछुआरों के लिए नाव (रिप्लेसमेंट) और जाल प्रदान करना, मछली उप-उत्पाद प्रसंस्करण इकाई और सी-वीड बैंक की स्थापना, तथा झींगा, मछली और केकड़ा हैचरी की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।