क्या पीएम मत्स्य संपदा योजना ने 5 सालों में 'नीली क्रांति' से रोजगार और उम्मीदों को नए पंख दिए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- पीएमएमएसवाई ने मछुआरों को सशक्त बनाया है।
- इस योजना के तहत 58 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं।
- भारत 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनेगा।
- किसानों को 1.76 लाख की सब्सिडी मिली है।
- यह योजना 2025-26 तक बढ़ा दी गई है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने अपने 5 साल पूरे कर लिए हैं। इसे 20 मई 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में "नीली क्रांति" की शुरुआत करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल के रूप में स्वीकृति दी गई थी। इस योजना की सफलता का प्रमाण यह है कि पिछले 5 वर्षों में मछुआरे रिकॉर्ड पैदावार के साथ-साथ बढ़ते निर्यात और समावेशी व सतत विकास के साथ सशक्त बने हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमएमएसवाई का शुभारंभ 10 सितंबर 2020 को किया था। इस योजना को 20,050 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ स्वीकृति दी गई थी। इसमें 2020-21 से 2024-25 तक 9,407 करोड़ रुपए केंद्र सरकार, 4,880 करोड़ रुपए राज्य सरकारों से और 5,763 करोड़ रुपए लाभार्थियों के योगदान के रूप में शामिल हैं। इस अवधि में यह योजना देशभर में सफलता की नई कहानियों को जन्म दे रही है।
किसान कल्याण विभाग के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत 2024-25 में 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन करके इस क्षेत्र का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा। फरवरी 2025 तक मत्स्य पालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, दिसंबर 2024 तक 55 लाख के लक्ष्य को पार करते हुए 58 लाख रोजगार के अवसर भी सृजित किए गए हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर 'द मोदी स्टोरी' ने पीएमएमएसवाई की सफलता और इसके प्रभाव को लेकर एक पोस्ट साझा की है। इस पोस्ट में बताया गया है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण किसानों को आत्मनिर्भरता की नई दिशा दिखा रहा है। हरिद्वार के किसान भूदेव सिंह की कहानी में बताया गया है कि कैसे उन्होंने कोविड काल में इस योजना की जानकारी प्राप्त की और तालाब बनवाकर मत्स्य पालन शुरू किया। उन्होंने 1.76 लाख की सब्सिडी प्राप्त की और पहले वर्ष में उनकी आय में पौने दो लाख की वृद्धि हुई। अब वे अपनी कमाई को दोगुना कर चुके हैं।
भूदेव सिंह को वह क्षण आज भी याद है जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीधी बातचीत की। यह उनके लिए आत्मविश्वास और प्रेरणा का अनमोल अनुभव था। 'द मोदी स्टोरी' ने इस संवाद का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा किया है।
एक अन्य प्रेरणादायक कहानी उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के कपिल तलवार की है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने करियर में आए झटके को सफलता में बदला। उन्होंने पीएमएमएसवाई के अंतर्गत जिले की सबसे बड़ी बायोफ्लॉक मछली पालन इकाई की स्थापना की। इस योजना से मिली 40 प्रतिशत सब्सिडी और तकनीकी मार्गदर्शन के साथ उन्होंने 50 टैंक बनाए।
उनकी नर्सरी ने 50,000 पंगेसियस का उत्पादन किया है। उन्होंने सजावटी मछलियों के पालन की भी शुरुआत की है। इस पहल ने न केवल कपिल तलवार की आजीविका को पुनर्जीवित किया, बल्कि उनके क्षेत्र के 7 अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए।
यह योजना अब 2025-26 तक बढ़ा दी गई है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस योजना के विस्तार पर सहमति दी है। 22 जुलाई तक मत्स्य पालन विभाग ने 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है।
इस प्रकार, पीएमएमएसवाई ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिससे विकास, स्थिरता और समावेशिता को बढ़ावा मिला है।