क्या गुरु पूर्णिमा पर पारस जी महाराज का संदेश है कि 'सनातन संस्कृति ही भारत की शक्ति है'?

सारांश
Key Takeaways
- सनातन संस्कृति भारत की असली शक्ति है।
- नई पीढ़ी को सनातन मूल्यों की शिक्षा देना आवश्यक है।
- धर्म की रक्षा के लिए न्याय का होना जरूरी है।
- गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है।
- प्रधानमंत्री मोदी को सनातन रक्षक की उपाधि दी गई।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित एक भव्य समारोह में पारस जी महाराज ने अपने प्रवचन और भजन से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। हजारों भक्तों ने पूज्य गुरुदेव का आशीर्वाद लिया और उनके भजनों के साथ झूम उठे।
पारस जी महाराज ने अपने संदेश में कहा, "सनातन संस्कृति और परंपराएं ही भारत को मजबूती प्रदान करती हैं।" उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जागरूकता एक सतत प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी सशक्त बनाती है। उन्होंने यह भी कहा कि नवीन पीढ़ी को सनातन मूल्यों की शिक्षा देना समय की मांग है।
गुरुदेव ने मंच से घोषणा की कि वे जल्द ही एक धार्मिक यात्रा पर निकलने वाले हैं, जिसमें वे धर्म के साथ-साथ न्याय से वंचित लोगों की आवाज भी उठाएंगे। उन्होंने कहा, "धर्म की रक्षा तभी संभव है जब समाज में हर व्यक्ति को न्याय मिले और हमारी बेटियां सुरक्षित रहें।"
अपने संबोधन में पारस जी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें "सनातन रक्षक" की उपाधि दी। उन्होंने कहा कि, "अगर मोदी जी प्रधानमंत्री न होते, तो न राम मंदिर बन पाता और न ही कल्कि धाम की नींव रखी जाती।"
इस कार्यक्रम में कानपुर के लोकप्रिय सांसद रमेश अवस्थी, गृह मंत्रालय के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर अनिल चतुर्वेदी, आलोक द्विवेदी समेत कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रद्धालुओं और आयोजकों की भूमिका उल्लेखनीय रही।