क्या 'जोरे साहिब' के संरक्षण के लिए हरदीप पुरी संग सिख संगत ने पीएम मोदी से मुलाकात की?

सारांश
Key Takeaways
- सिख संगत ने 'जोरे साहिब' के संरक्षण के लिए पीएम मोदी से मुलाकात की।
- हरदीप सिंह पुरी ने सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
- जोरे साहिब सिख संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक है।
- भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण आवश्यक है।
- प्रधानमंत्री ने सिख संगत के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। सिख समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों ने 'जोरे साहिब' के संरक्षण हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद किया। शुक्रवार को पीएम मोदी ने सिख संगत के साथ एक बैठक का वीडियो साझा किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल थे।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा करते हुए कहा कि सिख संगत की बैठक में प्रसिद्ध गायिका हर्षदीप कौर ने मूल मंत्र का एक सुरीला गायन किया।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक्स पोस्ट को साझा करते हुए लिखा, "मुझे सिख प्रतिनिधिमंडल के सम्मानित और कुशल सदस्यों का स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हुई, जिन्होंने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र और अमूल्य 'जोरे साहिब' के संरक्षण और उचित प्रदर्शन के लिए अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 'जोरे साहिब' हमारे राष्ट्र के सांस्कृतिक लोकाचार और गौरवशाली सिख इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं। ये पवित्र प्रतीक भावी पीढ़ियों को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिखाए गए साहस, धार्मिकता, न्याय और सामाजिक सद्भाव के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सिख संगत के कई प्रतिष्ठित सदस्यों के साथ मुझे पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर खालसा पंथ के संस्थापक और सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज और उनकी धर्मपत्नी माता साहिब कौर जी से संबंधित पवित्र 'जोरे साहिब' की सुरक्षा और उचित प्रदर्शन के लिए समिति की सिफारिशें प्रस्तुत करने का सौभाग्य मिला।
पुरी ने कहा कि पवित्र 'जोरे साहिब' श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज (दाहिना पैर 11 इंच x 3.5 इंच) और माता साहिब कौर जी (बायां पैर 9 इंच x 3 इंच) की पादुकाएं हैं। पुरी परिवार को इनकी सेवा करने का अपार सौभाग्य प्राप्त हुआ है। 300 वर्ष से भी अधिक समय पहले गुरु साहिब और माता जी ने इन्हें उनके पूर्वजों को प्रदान किया था।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हमारे पूर्वज को दशम गुरु की प्रत्यक्ष सेवा में रहने का महान दिव्य आशीर्वाद प्राप्त था। गुरु महाराज ने उन्हें बदले में कोई भी इनाम मांगने का आदेश दिया। हमारे पूर्वज ने गुरु साहिब से अनुरोध किया कि वे उन्हें पवित्र 'जोरे साहिब' को रखने की दिव्य अनुमति प्रदान करें ताकि गुरु साहिब और माता जी का आशीर्वाद उनके परिवार और आने वाली पीढ़ियों पर बना रहे।
उन्होंने बताया कि 'जोरे साहिब' के अंतिम संरक्षक मेरे चचेरे भाई सरदार जसमीत सिंह पुरी थे, जो दिल्ली में करोल बाग की एक गली में निवास करते थे, जिसका नाम बाद में इन अनमोल पवित्र चीजों के सम्मान में 'गुरु गोबिंद सिंह मार्ग' रखा गया। चूंकि अब मैं परिवार के सबसे बड़े सदस्यों में से एक हूं, इसलिए उनकी पत्नी मनप्रीत ने मुझे इन पवित्र चीजों के लिए एक उपयुक्त स्थान खोजने के लिए लिखा ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु 'जोरे साहिब' के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकें।
इसके बाद मैंने संस्कृति मंत्रालय से पवित्र चीजों की सावधानीपूर्वक जांच करवाई। उनकी प्रामाणिकता और सर्वोच्च धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व को स्थापित करने के लिए कार्बन परीक्षण भी किया गया है।
समिति के सदस्यों ने अपनी सिफारिशें दी हैं और पवित्र 'जोरे साहिब' के अनुरूप निर्णय लेने के लिए एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष प्रस्तुत की है। पीएम ने सदैव हमारे गुरु साहिबों की शिक्षाओं के प्रति सम्मान और सिख संगत के सदस्यों के प्रति स्नेह व्यक्त किया है।
पुरी ने कहा कि पीएम मोदी ने कई सिख धार्मिक स्थलों के संवर्धन और इन तीर्थस्थलों तक बेहतर संपर्क और पहुंच सुनिश्चित करने से संबंधित मामलों में गहरी व्यक्तिगत रुचि ली है।