क्या झारखंड हाईकोर्ट ने नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र की मान्यता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र की मान्यता को लेकर बड़ा फैसला सुनाया?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र की वैधता को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब विज्ञापन तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र मान्य नहीं होंगे। यह फैसला अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण के लाभ पर प्रभाव डालेगा। जानें इस फैसले के पीछे की वजहें और इसके संभावित परिणाम।

Key Takeaways

  • नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र की वैधता पर नया निर्णय।
  • विज्ञापन तिथि के बाद जारी प्रमाणपत्र मान्य नहीं।
  • अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
  • राज्य सरकार और आयोग को नियमों का निर्धारण करने का अधिकार।
  • पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह निर्णय आवश्यक।

रांची, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने सोमवार को नियुक्तियों में जाति प्रमाणपत्र को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में विज्ञापन की तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र मान्य नहीं होगा। ऐसे मामलों में अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा और उन्हें अनारक्षित श्रेणी में रखा जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने कुल 44 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया। इस मामले में 21 अगस्त को सुनवाई पूरी हो चुकी थी और फैसला सुरक्षित रखा गया था।

अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के राम कुमार गिजरोया मामले में दिया गया आदेश सभी मामलों पर स्वतः लागू नहीं होगा। राज्य सरकार, झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को जाति प्रमाणपत्र का फॉर्मेट और मान्यता की शर्तें तय करने का अधिकार है।

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जेपीएससी और जेएसएससी नियुक्ति विज्ञापन की तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिससे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा। उनका कहना था कि आयोग विज्ञापन तिथि तक ही जाति प्रमाणपत्र को सीमित नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के राम कुमार गिजरोया केस का हवाला देते हुए कहा गया कि जाति प्रमाणपत्र जन्म के आधार पर होता है, न कि समय के आधार पर। इसलिए विज्ञापन की तिथि के बाद जारी प्रमाणपत्र भी मान्य होना चाहिए।

वहीं, आयोग की तरफ से यह दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट का एक अन्य आदेश स्पष्ट करता है कि नियुक्ति विज्ञापन की तिथि तक का ही जाति प्रमाणपत्र मान्य होगा। यदि उस तिथि तक प्रमाणपत्र नहीं है, तो अभ्यर्थी को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। अदालत ने आयोग के तर्क को स्वीकार किया और कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था आवश्यक है।

Point of View

NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या झारखंड हाईकोर्ट का निर्णय सभी जातियों पर लागू होगा?
हाँ, यह निर्णय सभी जातियों के लिए लागू होगा, जिसका मतलब है कि विज्ञापन की तिथि के बाद जारी जाति प्रमाणपत्र मान्य नहीं होंगे।
क्या इस निर्णय से आरक्षण पर असर पड़ेगा?
जी हाँ, इस निर्णय के अनुसार जिन अभ्यर्थियों के पास विज्ञापन तिथि के बाद का जाति प्रमाणपत्र है, उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
क्या जाति प्रमाणपत्र का प्रमाणिकरण जरूरी है?
हाँ, जाति प्रमाणपत्र का प्रमाणिकरण नियुक्तियों की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सही समय पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।