क्या झारखंड शराब घोटाले में जेल में बंद निलंबित आईएएस विनय चौबे को मिली जमानत?

सारांश
Key Takeaways
- विनय चौबे को एसीबी कोर्ट से जमानत मिली है।
- जमानत के लिए कई शर्तें हैं।
- गिरफ्तारी के 92 दिनों बाद भी चार्जशीट नहीं दाखिल हुई।
- झारखंड में शराब घोटाला 2022 में शुरू हुआ था।
- राज्य को 129.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
रांची, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड शराब घोटाले के मामले में जेल में बंद निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे को एक महत्वपूर्ण राहत मिली है। एसीबी कोर्ट ने बीएनएसएस की धारा 187(2) के तहत सोमवार को उन्हें जमानत प्रदान की। अदालत ने यह शर्त रखी है कि जमानत पर रहने के दौरान उन्हें राज्य से बाहर जाने से पहले अदालत को सूचित करना होगा। इसके साथ ही, वे ट्रायल के दौरान अपना मोबाइल नंबर भी नहीं बदल सकते हैं।
जमानत लेने के लिए अदालत ने 25-25 हजार रुपये के दो निजी मुचलके भरने की शर्त भी रखी है। दरअसल, विनय चौबे की गिरफ्तारी के 92 दिनों बाद भी एसीबी ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश नहीं की थी, जिससे उन्हें राहत मिली। उनकी ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी ने पक्ष रखा। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने 20 मई 2025 को करीब छह घंटे की पूछताछ के बाद विनय चौबे को गिरफ्तार किया था।
इस घोटाले से संबंधित प्रारंभिक एफआईआर में चौबे समेत कुल 13 लोगों को नामजद किया गया था। अब तक झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। विनय चौबे झारखंड के उत्पाद विभाग के सचिव, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव और कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। झारखंड में शराब घोटाले की शुरुआत वर्ष 2022 में हुई थी जब छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नई एक्साइज पॉलिसी लागू की गई थी।
इस पॉलिसी को लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड से करार किया गया था। जांच में यह पता चला कि नीति लागू करने के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। आरोप है कि विशेष सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में मनमाना बदलाव किया गया। इस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ की एक कंसल्टेंट कंपनी के सहयोग से झारखंड में शराब सप्लाई और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए।
जांच में यह भी पाया गया कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान जमा की गई बैंक गारंटियां फर्जी थीं, जिससे राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। झारखंड राज्य बिवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की आंतरिक अंकेक्षण रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि सात एजेंसियों ने राज्य सरकार को कुल 129.55 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। हालांकि, इन आरोपों पर एसीबी तय समय सीमा में चार्जशीट दाखिल करने में असफल रही।