क्या खड़गे के बयान से किसान नेताओं में नाराज़गी पैदा हुई?

सारांश
Key Takeaways
- खड़गे का बयान किसानों के प्रति असंवेदनशील था।
- किसान नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा की है।
- कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- किसानों का सम्मान करना राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्य है।
- किसान संगठनों का विरोध कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है।
ग्रेटर नोएडा, ८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक बार फिर अपने बयान के कारण विवादों में घिर गए हैं। यह विवाद कर्नाटक के बाढ़ प्रभावित कलबुर्गी जिले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तब शुरू हुआ जब एक किसान ने चार एकड़ में लगी फसल के नुकसान का मुद्दा उठाया।
खड़गे ने किसान को टोकते हुए कहा, "सिर्फ पब्लिसिटी के लिए मत आओ।" उन्होंने बताया कि उनकी खुद की 40 एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। भाजपा नेताओं ने इस बयान को असंवेदनशील मानते हुए खड़गे और कांग्रेस पर किसानों का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे कांग्रेस की किसान विरोधी मानसिकता करार दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद ग्रेटर नोएडा के किसान नेताओं सहित विभिन्न किसान संगठनों ने खड़गे के बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि इस तरह के बयान कांग्रेस की किसानों के प्रति असम्मान को दर्शाते हैं और इससे उनकी सत्ता में वापसी की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
ग्रेटर नोएडा के किसान नेता बृजेश भाटी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में खड़गे के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि खड़गे एक वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी कलबुर्गी में एक किसान के सवाल पर असंवेदनशील टिप्पणी कर रहे हैं।
भाटी ने कहा कि कांग्रेस की सत्ता से दूरी का मुख्य कारण किसानों की उपेक्षा है। यदि कांग्रेस ने किसानों की बात सुनी होती तो आज वह सत्ता में होती।
भाटी ने यह भी कहा कि चाहे वह एक एकड़ का किसान हो या 40 एकड़ का, हर किसान का नुकसान महत्वपूर्ण है और खड़गे का यह बयान किसानों का अपमान है।
किसान नेता ने चेतावनी दी कि ऐसी बयानबाजी से कांग्रेस सत्ता के सपने से और दूर हो जाएगी। भाटी ने स्पष्ट किया कि किसान संगठनों का किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वे खड़गे के बयान का विरोध करेंगे।
उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि वह किसानों का सम्मान करे और ऐसी बयानबाजी से बचे, वरना इसका उसे राजनीतिक नुकसान होगा।