क्या महाराष्ट्र के नांदेड़ से लाल किले तक तिरंगे का सफर अद्वितीय है?

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क्या महाराष्ट्र के नांदेड़ से लाल किले तक तिरंगे का सफर अद्वितीय है?

सारांश

नांदेड़, एक छोटा सा शहर, जहां तिरंगे का निर्माण होता है, स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लेख नांदेड़ के खादी ग्रामोद्योग समिति की अनूठी यात्रा को दर्शाता है, जो न केवल स्थानीय रोजगार का स्रोत है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है। जानिए कैसे ये झंडे बनते हैं और उनका महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • तिरंगा का निर्माण नांदेड़ में सरकारी मानकों के अनुसार होता है।
  • यह प्रक्रिया हजारों स्थानीय रोजगार अवसर प्रदान करती है।
  • तिरंगे का निर्माण 1965 में शुरू हुआ था।
  • नांदेड़ में 10,000 से अधिक तिरंगे इस वर्ष बनाए गए हैं।
  • तिरंगे का आकार उपयोग के अनुसार भिन्न होता है।

नांदेड़, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियों में जुटा है, तब महाराष्ट्र का एक छोटा सा शहर देशभक्ति की भावना को जीवित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

नांदेड़ में मराठवाड़ा खादी ग्रामोद्योग समिति का मुख्यालय स्थित है, जो भारत के उन चुनिंदा आधिकारिक केंद्रों में से एक है, जहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का निर्माण सरकारी मानकों के अनुसार किया जाता है। ये झंडे, जो साधारण गांवों से लेकर दिल्ली के लाल किले की भव्यता तक, पूरे देश में गर्व से फहराए जाते हैं।

इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की शुरुआत 1965 में हुई, जब स्वतंत्रता सेनानी गोविंदभाई श्रॉफ और दूरदर्शी नेता स्वामी रामानंद तीर्थ ने नांदेड़ में खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की। तब से यह संगठन स्थानीय रोजगार और राष्ट्रीय गौरव का स्रोत बन गया है।

कार्यालय अधीक्षक ज्ञानोबा सोलंके के अनुसार, ध्वज निर्माण की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होती है, जो महीनों पहले से शुरू होती है। इसकी शुरुआत बिना उपचारित खादी के कपड़े से होती है, जिसे पहले अहमदाबाद स्थित बीएमसी मिल में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों में बुनाई के लिए भेजा जाता है।

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार कठोर गुणवत्ता जांच के बाद, झंडों को अशोक चक्र की स्क्रीन प्रिंटिंग, कटिंग और सिलाई के लिए वापस भेजा जाता है।

निर्माण प्रक्रिया की एक अनूठी विशेषता है झंडों को बांधने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विशेष गर्दी रस्सी। यह रस्सी हल्दी, सागौन, साल और शीशम जैसी लकड़ियों के मिश्रण से बनाई जाती है और मुंबई से मंगवाई जाती है। पूरे उत्पादन चक्र में कम से कम दो महीने लगते हैं, इसलिए पहले से योजना बनाना आवश्यक है।

नांदेड़ विनिर्माण इकाई के प्रबंधक महाबलेश्वर मठपति ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमारा संगठन 1962 में स्थापित हुआ और हम 1993 से राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रहे हैं। केंद्र सरकार कपास की आपूर्ति करती है। हमारी एक शाखा उदगीर, लातूर में है, जहां 250 कताई करने वाले और बुनकर कपड़ा तैयार करते हैं। फिर इस कपड़े को नांदेड़ लाया जाता है, रंगाई और विरंजन के लिए गुजरात भेजा जाता है, और अंत में छपाई और सिलाई के लिए नांदेड़ वापस लाया जाता है।

इस साल अब तक नांदेड़ इकाई में विभिन्न आकारों के 10 हजार से अधिक राष्ट्रीय ध्वज बनाए जा चुके हैं। 8 अगस्त50 लाख1.5 करोड़

झंडों का आकार उनके इच्छित उपयोग के आधार पर भिन्न होता है। सबसे बड़ा झंडा, जिसका आकार 14x21 फीट है, मंत्रालयों और लाल किले जैसी सरकारी इमारतों पर लगाया जाता है। 8x126x94x6

देश में केवल चार केंद्र महाराष्ट्र में नांदेड़ और मुंबई, कर्नाटक में हुबली और मध्य प्रदेश में ग्वालियर ही लाल किले के लिए झंडे बनाने के लिए आधिकारिक तौर पर अधिकृत हैं।

Point of View

बल्कि यह राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक भी है। खादी ग्रामोद्योग समिति की मेहनत और समर्पण से यह सुनिश्चित होता है कि स्वतंत्रता के प्रतीक तिरंगे का निर्माण उच्चतम मानकों के अनुरूप हो। इस प्रकार, यह संगठन न केवल आर्थिक विकास में योगदान देता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

नांदेड़ में तिरंगा कैसे बनाया जाता है?
नांदेड़ में तिरंगा बनाने की प्रक्रिया में बिना उपचारित खादी के कपड़े का उपयोग होता है, जिसे बाद में बुनाई, रंगाई, छपाई और सिलाई की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
क्या नांदेड़ में तिरंगे का निर्माण सरकारी मानकों के अनुसार होता है?
हाँ, नांदेड़ में तिरंगे का निर्माण भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाता है।
नांदेड़ में तिरंगा बनाने की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
तिरंगा बनाने की प्रक्रिया में पूरा उत्पादन चक्र पूरा करने में कम से कम दो महीने लगते हैं।
नांदेड़ में तिरंगे का निर्माण कब से हो रहा है?
नांदेड़ में तिरंगे का निर्माण 1993 से हो रहा है।
नांदेड़ में तिरंगे का आकार क्या होता है?
तिरंगे का आकार उनके उपयोग के आधार पर भिन्न होता है, जैसे कि 14x21 फीट का झंडा सरकारी इमारतों पर, और छोटे झंडे स्कूलों में वितरित किए जाते हैं।