क्या नई दिल्ली में बजरंगबली, मां बगलामुखी और कल्कि नारायण के त्रिदेव स्वरूप पीठम का भूमि पूजन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- भूमि पूजन समारोह का आयोजन श्रद्धा और आस्था के साथ किया गया।
- आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पीठम के महत्व पर प्रकाश डाला।
- यह पीठम सनातन धर्म के मूल्यों को स्थापित करेगा।
- भक्तों को मोक्ष और विजय की प्राप्ति होगी।
- यह पीठम भविष्य में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बनेगा।
नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली के कंझावाला क्षेत्र में बजरंगबली, मां बगलामुखी और भगवान श्री कल्कि नारायण के त्रिदेव स्वरूप पीठम का भूमि पूजन समारोह बड़े श्रद्धा भाव के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मुख्य अतिथि के रूप में भूमि पूजन समारोह में भाग लिया।
भूमि पूजन समारोह की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार से हुई, और इसे विधिपूर्वक संपन्न किया गया। पंडितों ने पवित्र अग्नि प्रज्वलित कर देवताओं का आह्वान किया और भूमि के शुद्धिकरण के लिए विशेष पूजा-अर्चना की। इस दौरान उपस्थित भक्तों और गणमान्य व्यक्तियों ने इस आध्यात्मिक क्षण का अनुभव भक्तिमय वातावरण में किया।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने त्रिदेव स्वरूप पीठम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पीठम सनातन धर्म के मूल्यों को स्थापित करने और समाज में शांति एवं सद्भाव का संदेश फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा।
उन्होंने बताया कि यह त्रिदेव स्वरूप पीठम भगवान हनुमान, मां बगलामुखी और भगवान कल्कि नारायण के दिव्य स्वरूपों को समर्पित होगा। माना जाता है कि इन तीनों देवताओं की आराधना से भक्तों को बल, बुद्धि, विद्या, शत्रु पर विजय और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पीठम भविष्य में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बनेगा, जहां श्रद्धालु ध्यान, पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ले सकेंगे।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भगवान श्री कल्की नारायण के अवतरण और उनके दिव्य कार्य पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की राजधानी इंद्रप्रस्थ की पावन भूमि और यमुना के तट पर कल्किपीठ एवं कल्कि धाम द्वारा भगवान कल्कि नारायण के नाम एवं स्वरूप का मंदिर निर्मित किया जा रहा है। मैं सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। एक दिन ऐसा आएगा जब भगवान के अवतार की भविष्यवाणी पूरी होगी।
भूमि पूजन के सफल समापन के साथ ही इस भव्य पीठम के निर्माण कार्य को गति दी जाएगी। आयोजकों ने बताया कि इस पीठम का उद्देश्य केवल एक मंदिर का निर्माण करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक परिसर स्थापित करना है, जो धार्मिक शिक्षा, योग, ध्यान और सामाजिक कल्याण के कार्यों को भी बढ़ावा देगा। यह पीठम आने वाली पीढ़ियों के लिए सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराओं और मूल्यों का प्रतीक बनेगा।