क्या पशुओं के प्रति क्रूरता का मुकाबला करना बेहद जरूरी है? : पूनम महाजन

सारांश
Key Takeaways
- पशुओं के प्रति क्रूरता का मुकाबला करना आवश्यक है।
- जानवरों के खिलाफ बढ़ते अपराधों से अवगत होना चाहिए।
- समाज में एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना जरूरी है।
- जानवरों के अधिकारों की रक्षा के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है।
- कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
मुंबई, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जानवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए 'पेटा इंडिया' ने एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस अवसर पर पूर्व सांसद पूनम महाजन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि समाज में सभी के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए पशुओं के प्रति क्रूरता का प्रभावी ढंग से मुकाबला करना आवश्यक है।
मुंबई में जानवरों के खिलाफ बढ़ते अपराधों की पृष्ठभूमि में और जानवरों तथा मानवों की सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया (पेटा इंडिया) ने रविवार को अपनी पहली शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों से आए बचावकर्मियों और पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता भी शामिल हुई।
पूनम महाजन देश के कई पशु कल्याण संगठनों की मार्गदर्शक रही हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जो लोग जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं, वे अक्सर अन्य अपराधों में भी संलिप्त होते हैं। मुझे गर्व है कि मैं पेटा इंडिया की उस कार्यशाला का हिस्सा बनी, जिसका उद्देश्य नागरिकों को पशुओं के खिलाफ अपराधों की सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए सशक्त बनाना है।
पेटा इंडिया के कानूनी सलाहकार और क्रूरता प्रतिक्रिया निदेशक मीत अशर द्वारा संचालित इस एक दिवसीय सत्र में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने सीखा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) और प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (पीओआर) कैसे दर्ज की जाती है और जानवरों के खिलाफ अपराध का दस्तावेजीकरण कैसे किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम 1960, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (जो 2022 में संशोधित हुआ) और अन्य प्रासंगिक कानूनों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।
पेटा इंडिया की मीत अशर ने कहा, "पशुओं और समाज की ओर से, हम कार्यशाला के प्रतिभागियों को पशुओं के प्रति क्रूरता को समाप्त करने और एक दयालु समाज बनाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद देते हैं और पूनम महाजन को इस आंदोलन में मार्गदर्शक प्रकाश बनने के लिए भी आभार व्यक्त करते हैं।"
पेटा इंडिया के अनुसार, कई हिंसक अपराधियों का जानवरों के प्रति क्रूरता का एक लंबा इतिहास रहा है। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है, "जो लोग जानवरों के साथ क्रूरता करते हैं, उनके द्वारा हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं के दुरुपयोग जैसे अन्य अपराध करने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।"