क्या राजस्थान के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का निधन कांग्रेस के लिए अपूरणीय क्षति है?

सारांश
Key Takeaways
- रामेश्वर डूडी का निधन कांग्रेस के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
- वे किसानों की मजबूत आवाज थे।
- उनका राजनीतिक जीवन छात्र राजनीति से शुरू हुआ।
- उन्होंने राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई।
- उन्हें जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता था।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख नेता रामेश्वर डूडी का शनिवार को निधन हो गया। उनकी उम्र केवल 62 वर्ष थी। उनके निधन पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहरा दुख व्यक्त किया।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "वरिष्ठ कांग्रेस नेता, राजस्थान विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सांसद रामेश्वर डूडी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। यह कांग्रेस पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
उन्होंने आगे लिखा, "वे एक जमीन से जुड़े नेता थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन किसानों और जनता के कल्याण के लिए समर्पित किया। दुःख की इस घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।"
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं बीकानेर से सांसद रहे रामेश्वर डूडी का निधन अत्यंत दुखद है। करीब 2 साल तक बीमार रहने के बाद इतनी कम उम्र में उनका जाना हमारे लिए हमेशा खलता रहेगा। यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक आघात है।"
उन्होंने कहा कि रामेश्वर डूडी ने अपनी हर भूमिका का अच्छे से निर्वहन किया। वह मेरे साथ सांसद, विधायक और हमारे नेता प्रतिपक्ष रहे। किसानों के कल्याण के लिए उन्होंने निरंतर काम किया। मुझे याद है कि दौरा पड़ने से कुछ दिन पहले ही वह मुझसे मिलने आए थे और हमारे बीच लंबी बातचीत हुई थी।
हमने उनके इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रबंध किए। एक सक्रिय जीवन जीने वाले डूडी जी का इस प्रकार बीमार होना हम सबके मन को कचोटता था। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिजनों को हिम्मत देने की प्रार्थना करता हूं।
ज्ञात हो कि रामेश्वर डूडी उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में किसानों की मजबूत आवाज के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति में एनएसयूआई से की थी। 1995 में वे नोखा के प्रधान बने और पंचायती राज में सक्रिय रहे। उन्होंने राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भी भूमिका निभाई।