क्या रक्षा निर्माण क्षेत्र में नवाचार, निवेश और निर्यात को नई दिशा मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को साकार करने के लिए सम्मेलन का आयोजन।
- डिजिटल प्लेटफार्मों का शुभारंभ जो निर्यात और आयात की प्रक्रिया को सरल बनाएंगे।
- औद्योगिक नीतियों में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए प्रयास।
- केंद्र और राज्यों के बीच नीतिगत तालमेल को सुदृढ़ करना।
- रक्षा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाना।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘देश में रक्षा निर्माण के अवसर’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन 7 अक्टूबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होगा। सम्मेलन का आयोजन रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के तहत किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औद्योगिक विभागों एवं रक्षा मंत्रालय के बीच समन्वय को मजबूत करना है। इस प्रयास के द्वारा क्षेत्रीय औद्योगिक नीतियों और बुनियादी ढांचे के विकास को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के अनुरूप लाना है।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ करेंगे। पहला डिफेंस एक्ज़िम पोर्टल है, जिसे रक्षा क्षेत्र में निर्यात और आयात की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और तेज बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है।
दूसरा डिफेंस इस्टेब्लिशमेंटस एंड इंटरप्रेन्योरस प्लेटफार्म पोर्टल है, जो भारतीय रक्षा उद्योगों की क्षमताओं, उत्पादों और सेवाओं का विस्तृत मानचित्र तैयार करेगा। इससे उद्योगों, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच सहयोग और समन्वय को नई दिशा मिलेगी।
सम्मेलन के दौरान दो महत्वपूर्ण प्रकाशनों, ‘एयरोस्पेस एंड डिफेंस सेक्टर पॉलिसी कम्पेन्डियम ऑफ स्टेट्स एंड यूनियन टेरेटरीज’ और आईडीईएक्स कॉफी टेबल बुक ‘शेयर्ड हॉरिज़न्स ऑफ इनोवेशन’ का विमोचन भी किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के उद्योग विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को एक साझा मंच पर लाकर रक्षा उत्पादन में उनकी भूमिका को सशक्त बनाना है।
यह सम्मेलन न केवल केंद्र और राज्यों के बीच नीतिगत तालमेल को मजबूत करेगा, बल्कि भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में नवाचार, निवेश और निर्यात को नई दिशा प्रदान करेगा। इसके माध्यम से भारत की रक्षा औद्योगिक क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।