क्या साने ताकाइची की चीन से संबंधित टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?

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क्या साने ताकाइची की चीन से संबंधित टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?

सारांश

जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की विवादास्पद टिप्पणी ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी न केवल जापान और चीन के बीच की सहमति को तोड़ती है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का भी उल्लंघन करती है। जानिए इस पर क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ।

Key Takeaways

  • थाईवान का मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है।
  • एक चीन सिद्धांत का पालन करना आवश्यक है।
  • साने ताकाइची की टिप्पणी ने जापान में चिंता उत्पन्न की है।
  • राजनीतिक संवाद को बनाए रखना जरूरी है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का सम्मान करना चाहिए।

बीजिंग, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने एक संसदीय चर्चा के दौरान थाईवान जलडमरूमध्य के मुद्दे पर संभावित सैन्य हस्तक्षेप का इशारा किया।

चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के जापानी अध्ययन संस्थान में सहायक शोधकर्ता सुन च्याशन ने बताया कि साने ताकाइची की टिप्पणी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों और थाईवान मुद्दे पर चीन और जापान के बीच बनी महत्वपूर्ण राजनीतिक सहमति का उल्लंघन करती है। चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से प्रतिपादित 'एक चीन' सिद्धांत, द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास के लिए एक पूर्वापेक्षा है। साने ताकाइची की टिप्पणी न केवल दोनों देशों के बीच राजनीतिक सहमति से भटकती है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों को भी कमजोर करती है। "साने ताकाइची की कार्रवाई मूलतः सैन्य विस्तार का बहाना है, शांतिवादी संविधान का उल्लंघन करती है और थाईवान के मामलों में हस्तक्षेप करती है।"

थाईवान के बारे में साने ताकाइची की टिप्पणी ने जापान के भीतर, विशेषकर ओकिनावा में, जो भौगोलिक रूप से थाईवान के निकट है, चिंताएं पैदा कर दी हैं। इशिगा की नगर पार्षद हनातानी शिरो ने चाइना मीडिया ग्रुप के एक रिपोर्टर को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री साने ताकाइची द्वारा 'जीवन-मरण के संकट' का सार्वजनिक रूप से उल्लेख बेहद भड़काऊ था और स्थानीय निवासियों में गहरी बेचैनी पैदा कर रहा था।

पूर्व जापानी राजनयिक मागोसाकी उकेरू का मानना है कि साने ताकाइची का बयान 'बेहद अनुचित' था। उन्होंने इस बुनियादी तथ्य को समझने और उसका सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया, "थाईवान चीन की भूमि का एक अविभाज्य अंग है।" चीन-जापान संबंधों के सामान्यीकरण के लिए पूर्वापेक्षा यह है कि जापान एक-चीन सिद्धांत को मान्यता दे और उसका पालन करे। थाईवान का मुद्दा पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है, और जापान के पास इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।"

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

Point of View

राजनीतिक संवाद और सहमति को बनाए रखना आवश्यक है। साने ताकाइची की टिप्पणी से न केवल चीन-जापान संबंधों में तनाव बढ़ सकता है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों को भी चुनौती देती है। हमें उम्मीद है कि दोनों देश इस मुद्दे का समाधान संवाद के माध्यम से करेंगे।
NationPress
15/11/2025

Frequently Asked Questions

साने ताकाइची की टिप्पणी का क्या अर्थ है?
साने ताकाइची की टिप्पणी थाईवान जलडमरूमध्य में संभावित सैन्य हस्तक्षेप की बात कर रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है।
क्या यह टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?
विशेषज्ञों का मानना है कि साने ताकाइची की टिप्पणी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
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