क्या सरोज खान के डांट में था प्यार और सख्ती में ममता?

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क्या सरोज खान के डांट में था प्यार और सख्ती में ममता?

सारांश

सरोज खान, बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर, अपनी सख्ती और ममता के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने भारतीय डांस को एक नई पहचान दी। उनकी यादें आज भी हमारे दिलों में बसी हुई हैं। जानें उनके करियर के उतार-चढ़ाव और उनके अनमोल योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • सरोज खान ने 2000 से अधिक गानों को कोरियोग्राफ किया।
  • उनका असली नाम निर्मला नागपाल था।
  • सरोज खान को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और आठ फिल्मफेयर पुरस्कार मिले।
  • उन्होंने कई प्रसिद्ध अभिनेत्रियों को डांस सिखाया।
  • उनकी कोरियोग्राफी में भाव और कहानी का समावेश होता था।

मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जब भी हम बॉलीवुड में कोरियोग्राफर की चर्चा करते हैं, तो सबसे पहले सरोज खान का नाम याद आता है। वह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अद्भुत यादें, उनके जज़्बात और शानदार डांस मूव्स आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। 3 जुलाई 2020 को उन्हें कार्डियक अरेस्ट के कारण हमसे जुदा होना पड़ा था। 71 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा और अपने पीछे जोश और कभी हार न मानने की शक्ति छोड़ गईं। वह अपनी ज़िंदगी भर नाचती रहीं, झूमती रहीं।

सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल था। उनकी अदाओं में वो खासियत थी जो हर गाने को विशिष्ट बना देती थी। उन्होंने माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी, ऐश्वर्या राय जैसी प्रमुख अभिनेत्रियों को डांस सिखाया। उनके अंदर गुरु की गंभीरता और माँ की ममता का संगम था। वह जितनी सख्त दिखती थीं, उतनी ही कोमल दिल की भी थीं। बॉलीवुड के जाने-माने कोरियोग्राफर बॉस्को मार्टिस ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्होंने और उनके साथी सीजर ने पश्चिमी डांस शैलियों को बॉलीवुड में लाने की कोशिश की, लेकिन सबसे बड़ा डर उन्हें सरोज खान जी के गुस्से का था।

बॉस्को ने साझा किया, "मैं और मेरा साथी सीजर, जब हम अपने डांस स्टाइल को बॉलीवुड में लाने की कोशिश कर रहे थे, तो हमें केवल सरोज खान का डर था, क्योंकि वह पारंपरिक और भारतीय शैलियों की मल्लिका थीं। लेकिन जब उनसे करीब से मिले, तो पता चला कि वह असल में भारतीयता की शुद्धता को बनाए रखना चाहती थीं। उन्होंने हमें अपने साथ काम करने का अवसर दिया, आशीर्वाद दिया और हमेशा प्रोत्साहित किया।"

उन्होंने आगे कहा, "मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं कि मैंने उनकी छांव में डांस को बेहतर तरीके से समझा। मुझे याद है, 'डांस इंडिया डांस' के सेट पर उन्होंने मेरी तारीफ में 100 रुपये का इनाम दिया था। उस पल की खुशी को शब्दों में नहीं कह सकता। उनकी माँ जैसी ममता और सख्ती दोनों का संगम देखने को मिलता था।"

सरोज ने अपने करियर की शुरुआत महज 3 साल की उम्र में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म 'नजराना' से की थी, लेकिन उनका झुकाव धीरे-धीरे डांस की ओर बढ़ा। शुरुआती दिनों में वह बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम करती थीं और 13 साल की उम्र में उन्होंने कोरियोग्राफी सीखना शुरू किया। उन्होंने प्रसिद्ध डांस डायरेक्टर बी. सोहनलाल के सहायक के रूप में काम किया और डांस की बारीकियों को गहराई से समझा।

उनके करियर का असली मोड़ तब आया जब उन्हें स्वतंत्र रूप से कोरियोग्राफर बनने का अवसर मिला। फिल्म 'गीता मेरा नाम' से उन्होंने स्वतंत्र कोरियोग्राफर के रूप में शुरुआत की, लेकिन पहचान 1986 में आई फिल्म 'नगीना' के सुपरहिट गाने 'मैं तेरी दुश्मन' से मिली। इस गाने में श्रीदेवी के अद्भुत डांस ने दर्शकों का दिल जीत लिया और सरोज खान की लोकप्रियता को भी बढ़ाया। इसके बाद 1987 में 'मिस्टर इंडिया' का गाना 'हवा हवाई' ने उन्हें हर घर में मशहूर कर दिया।

सरोज खान का करियर तब आसमान पर पहुंच गया जब उन्होंने 1988 की फिल्म 'तेजाब' का 'एक दो तीन' गाना कोरियोग्राफ किया। इस गाने ने न केवल माधुरी को रातों-रात स्टार बना दिया, बल्कि सरोज खान को भी 'हिट मशीन' का दर्जा दिला दिया। इस गाने की सफलता इतनी महत्वपूर्ण थी कि फिल्मफेयर अवार्ड्स में पहली बार 'बेस्ट कोरियोग्राफी' की श्रेणी स्थापित की गई और पहला अवार्ड सरोज खान को मिला। 'ढोली तारो', 'हमको आजकल है इंतजार', 'चोली के पीछे', 'धक-धक करने लगा', 'डोला रे डोला', और 'निंबूड़ा' जैसे गाने ने उन्हें कोरियोग्राफी की दुनिया की महारानी बना दिया।

सरोज खान ने लगभग 2,000 से अधिक गानों को कोरियोग्राफ किया। बॉलीवुड की कई बड़ी एक्ट्रेस उनकी कोरियोग्राफी में थिरकती नजर आईं। उन्होंने साधना, वैजयंतीमाला, हेलन, शर्मिला टैगोर, वहीदा रहमान, जीनत अमन, रेखा, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, करिश्मा, उर्मिला, रवीना टंडन, ऐश्वर्या राय और करीना कपूर जैसी अदाकाराओं को डांस सिखाया।

सरोज खान की विशिष्टता यह थी कि वह डांस को केवल स्टेप्स तक सीमित नहीं रखती थीं। उनका मानना था कि डांस में भाव होना चाहिए, चेहरे से कहानी दिखनी चाहिए। वह हर गाने की एक-एक लाइन को तोड़ती थीं और उसके अनुरूप एक्सप्रेशन और मूवमेंट बनाती थीं। उन्होंने भारतीय फोक डांस और क्लासिकल डांस को मुख्यधारा की फिल्मों में लोकप्रिय बना दिया। वह अपनी अलग शैली, सादगी और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थीं।

सरोज खान को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार और आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने टीवी रियलिटी शोज़ में भी जज के रूप में भाग लिया और नए कलाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कोरियोग्राफी को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक कला का दर्जा दिलाया।

Point of View

और आज भी उनकी कला जीवित है।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

सरोज खान का असली नाम क्या था?
सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल था।
सरोज खान ने कितने गानों को कोरियोग्राफ किया?
सरोज खान ने लगभग 2000 से अधिक गानों को कोरियोग्राफ किया।
सरोज खान को कितने पुरस्कार मिले?
सरोज खान को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार और आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है।
सरोज खान ने किस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की?
सरोज खान ने अपने करियर की शुरुआत 3 साल की उम्र में फिल्म 'नजराना' से की थी।
सरोज खान की खासियत क्या थी?
सरोज खान की खासियत यह थी कि वह डांस को केवल स्टेप्स तक सीमित नहीं रखती थीं, बल्कि उसमें भाव और कहानी भी शामिल करती थीं।