क्या सेनाध्यक्ष ने अरुणाचल प्रदेश में सैन्य तैयारियों का जायजा लिया?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय थलसेना प्रमुख का अरुणाचल प्रदेश का दौरा
- सैन्य तैयारियों का गहन निरीक्षण
- तकनीकी नवाचारों का महत्व
- स्थानीय सुरक्षा स्थिति पर ध्यान
- रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश में पहुंचकर सैन्य तैयारियों का गहन निरीक्षण किया है। उनका यह दौरा अरुणाचल प्रदेश के एक सैन्य स्टेशन का था। अरुणाचल प्रदेश एक सीमावर्ती राज्य है, जहां एलओसी यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार चीनी सैनिकों की तैनाती है। इस कारण यह क्षेत्र सैन्य तैयारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने लिकाबाली सैन्य स्टेशन का दौरा किया, जहां उन्होंने तैनात सेना की युद्धक तैयारियों का विस्तृत जायजा लिया।
लिकाबाली, जो भारतीय सेना का एक प्रमुख सैन्य अड्डा है, में सेना प्रमुख की मौजूदगी के दौरान उन्हें संचालन संबंधी मामलों, क्षेत्र की आंतरिक सुरक्षा स्थिति, प्रौद्योगिकी के उपयोग और सुरक्षा ढांचे में नवाचार की जानकारी दी गई। भारतीय सेना ने इस संबंध में बताया कि सेनाध्यक्ष ने कठिन भूभाग में सेवा कर रहे सभी रैंक के अधिकारियों और जवानों की समर्पण भावना की सराहना की।
उन्होंने यह भी कहा कि सेना ने अगली पीढ़ी के उपकरणों और प्रौद्योगिकी को अपने कार्य में शामिल कर सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया है। उन्होंने सभी को उच्च मनोबल और तत्परता के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया। भारतीय सेना न केवल देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है, बल्कि स्थानीय विकास और राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
हाल ही में भारतीय सेना के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश में ‘युद्ध कौशल 3.0’ नामक सैन्य अभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न किया था। इस अभ्यास में मल्टी डोमेन क्षमता, ड्रोन सर्विलांस, रियल-टाइम लक्ष्य निर्धारण और लाइव अटैक का प्रदर्शन किया गया। यह अभ्यास कामेंग क्षेत्र में आयोजित किया गया था। इन अभियानों में ड्रोन निगरानी, सटीक प्रहार, वायु-तटीय प्रभुत्व और समन्वित युद्धक रणनीतियों का सफल प्रदर्शन शामिल रहा।
इस दौरान हाल ही में गठित अशनी प्लाटून ने पहली बार संचालनात्मक भागीदारी करते हुए दिखाया कि कैसे अगली पीढ़ी की तकनीक और जमीनी अनुभव को मिलाकर आधुनिक संघर्षों में बढ़त हासिल की जा सकती है। अभ्यास की खास विशेषता भारतीय रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी रही। यह भागीदारी भारत के ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ का प्रतीक बनी। सेना के मुताबिक, इस साझेदारी ने दिखाया कि किस प्रकार स्वदेशी रक्षा नवाचार तेजी से रणभूमि में बढ़त में बदल रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि सशक्त हो रही है।