क्या अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को युद्धविराम समझौते की शर्तों की याद दिलाई?

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क्या अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को युद्धविराम समझौते की शर्तों की याद दिलाई?

सारांश

काबुल में तालिबान शासन ने पाकिस्तान को समझौते की शर्तों की याद दिलाई है। यह बयान हवाई हमलों और अफगान शरणार्थियों के निर्वासन के बीच आया है। जानें इस समझौते की महत्वपूर्ण बातें और दोनों देशों के बीच के तनाव पर क्या असर पड़ेगा।

Key Takeaways

  • युद्धविराम समझौते की शर्तें महत्वपूर्ण हैं।
  • अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है।
  • कतर की मध्यस्थता से वार्ता को नया मोड़ मिला है।
  • अफगानिस्तान में हवाई हमले का असर शरणार्थियों पर पड़ रहा है।
  • समझौते का पालन न होने पर स्थिति और बिगड़ सकती है।

काबुल, २२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अफगानिस्तान के तालिबान शासन ने पाकिस्तान को उन शर्तों की याद दिलाई है जो दोनों के बीच हुए समझौते में शामिल हैं। एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इस समझौते में युद्धविराम, आपसी सम्मान और एक-दूसरे के सुरक्षा बलों, नागरिकों और सुविधाओं पर हमलों से बचने पर जोर दिया गया है।

इस बयान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया गया। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा, "इस्लामिक अमीरात के रक्षा मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए समझौते के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। इसके अलावा और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह समझौता युद्धविराम, आपसी सम्मान, एक-दूसरे के सुरक्षा बलों, नागरिकों और सुविधाओं पर हमलों से बचने, बातचीत के माध्यम से सभी मामलों का समाधान करने और एक-दूसरे पर हमले न करने पर पूरी तरह जोर देता है। इन शर्तों से परे कोई भी बयान अमान्य है।"

यह बयान अफगान क्षेत्र पर हवाई हमले और अफगान शरणार्थियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है।

इससे पहले १८ अक्टूबर को, कतर के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि एक सप्ताह से भी अधिक समय तक चली भीषण लड़ाई के बाद, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए, अफगानिस्तान और पाकिस्तान तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं।

कतर के बयान के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान स्थायी शांति और स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, और युद्धविराम की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए फॉलो-अप वार्ताएं निर्धारित हैं।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों के प्रतिनिधिमंडल कतर और तुर्की की मध्यस्थता में वार्ता के लिए दोहा में थे।

वार्ता का नेतृत्व दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने किया, और पाकिस्तान ने कहा कि ध्यान "अफगानिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने और सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने के तत्काल उपायों" पर केंद्रित होगा।

यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमले किए। इस्लामाबाद और काबुल दोनों ने हाल के दिनों में एक-दूसरे पर आक्रमण का आरोप लगाया है।

पाकिस्तान ने बार-बार दावा किया है कि आतंकवादी समूह अफगान क्षेत्र से हमले कर रहे हैं, जबकि अफगानिस्तान ने सीमा पार हिंसा के लिए जिम्मेदार ऐसे किसी भी तत्व को पनाह देने से दृढ़ता से इनकार किया है।

१८ अक्टूबर को अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी हवाई हमले में तीन अफगान क्रिकेटर मारे गए थे।

ये खिलाड़ी एक दोस्ताना क्रिकेट मैच में हिस्सा लेने के लिए उर्गुन से पाकिस्तान सीमा के पास शाराना गए थे।

मृतकों की पहचान कबीर, सिबगतुल्लाह और हारून के रूप में हुई थी। इस हमले में पांच अन्य नागरिकों की भी मौत हो गई थी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच की बातचीत और समझौते की शर्तें स्थिरता और सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। हमें यह देखना चाहिए कि कैसे ये समझौते स्थानीय और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
NationPress
22/10/2025

Frequently Asked Questions

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कब हुआ?
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम 18 अक्टूबर को सहमत हुआ था।
समझौते में किन शर्तों पर जोर दिया गया है?
समझौते में युद्धविराम, आपसी सम्मान और एक-दूसरे के सुरक्षा बलों, नागरिकों और सुविधाओं पर हमलों से बचने पर जोर दिया गया है।
कतर की भूमिका क्या है?
कतर ने इस वार्ता के लिए मध्यस्थता की और स्थायी शांति को मजबूत करने के लिए तंत्र स्थापित करने पर सहमति दी।