क्या भारत की सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता मार्च 2027 तक 165 गीगावाट तक पहुंचेगी?
सारांश
Key Takeaways
- भारत की सोलर मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 165 गीगावाट तक बढ़ने की संभावना है।
- सरकारी नीतियों से मॉड्यूल निर्माण को बढ़ावा मिला है।
- वार्षिक सोलर उत्पादन 60-65 गीगावाट के बीच रहने की उम्मीद है।
- आगामी वर्षों में सप्लाई सरप्लस बने रहने की संभावना है।
- प्रतिस्पर्धा के कारण मुनाफे में कमी आ सकती है।
मुंबई, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता मार्च 2027 तक 165 गीगावाट से अधिक होने का अनुमान है, जबकि वर्तमान में यह लगभग 109 गीगावाट है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, मॉडलों और मैन्युफैक्चरर्स की एप्रूव्ड लिस्ट (एएलएमएम), आयातित सेल और मॉड्यूल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम जैसे मजबूत सरकारी समर्थन ने सोलर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को तेज़ी से बढ़ाने में मदद की है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में वार्षिक सोलर क्षमता में वृद्धि 45-50 गीगावाट के बीच हो सकती है, जबकि वार्षिक मॉड्यूल उत्पादन 60-65 गीगावाट के बीच रहने की संभावना है। इससे भविष्य में सप्लाई सरप्लस बना रहेगा, जिससे छोटे और प्योर-प्ले मॉड्यूल कंपनियों में कंसोलिडेशन को बढ़ावा मिलेगा।
एएलएमएम लिस्ट-2 में कंपनियों को सेल की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाकर दिसंबर 2027 तक लगभग 100 गीगावाट करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो वर्तमान में 17.9 गीगावाट है।
हाल ही में लागू अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्यात बाजार में जा रही आपूर्ति का रुख घरेलू बाजारों की ओर मुड़ गया है।
रिपोर्ट में यह भी अनुमानित किया गया है कि वर्टिकल इंटीग्रेशन करने वाले आपूर्तिकर्ताओं को लंबे समय में सप्लाई चेन पर अधिक कंट्रोल मिलेगा।
आईसीआरए के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉर्पोरेट रेटिंग्स) अंकित जैन ने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक दबाव और अत्यधिक क्षमता निर्माण के कारण वित्त वर्ष 25 में घरेलू सोलर ओईएम के मुनाफे में 25 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा कि सोलर सेल के लिए एएलएमएम की आवश्यकता जून 2026 से प्रभावी है, इसलिए सेल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में मजबूत वृद्धि और समय पर इसका स्थिरीकरण निकट भविष्य में महत्वपूर्ण बने रहने वाला है।