क्या सेबी की बोर्ड बैठक में स्टार्टअप ईएसओपी, पीएसयू डिलिस्टिंग और बॉंड निवेश नियमों पर चर्चा होगी?

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क्या सेबी की बोर्ड बैठक में स्टार्टअप ईएसओपी, पीएसयू डिलिस्टिंग और बॉंड निवेश नियमों पर चर्चा होगी?

सारांश

सेबी की अगली बोर्ड बैठक में स्टार्टअप्स, पीएसयू डिलिस्टिंग और विदेशी निवेशकों के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। क्या संस्थापक ईएसओपी बनाए रख सकेंगे? जानिए इस बैठक के संभावित परिणाम और उनके प्रभाव।

Key Takeaways

  • सेबी की बोर्ड बैठक में स्टार्टअप ईएसओपी पर चर्चा होगी।
  • पीएसयू की स्वैच्छिक डीलिस्टिंग पर नए ढांचे का प्रस्ताव किया जा सकता है।
  • विदेशी निवेशकों के लिए अनुपालन नियमों को सरल बनाने पर विचार हो रहा है।
  • ईएसओपी के अनुदान पर 'कूलिंग-ऑफ' अवधि की संभावना।
  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के लिए डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड में सुधार की संभावना।

मुंबई, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की आगामी बोर्ड बैठक में स्टार्टअप, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की डिलिस्टिंग और विदेशी निवेशकों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण नीतियों पर चर्चा होने की संभावना है।

बैठक के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह होगा कि क्या स्टार्टअप संस्थापक अपनी कंपनी के सार्वजनिक होने के बाद भी ईएसओपी बनाए रख सकते हैं।

वर्तमान में, जब स्टार्टअप संस्थापक को आईपीओ प्रक्रिया के दौरान प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो उन्हें ईएसओपी प्राप्त करने की अनुमति नहीं होती है।

हालांकि, सेबी मानता है कि नियम इस विषय में स्पष्ट नहीं हैं कि क्या वे संस्थापक जिन्होंने प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत होने से पहले ईएसओपी प्राप्त किए थे, वे आईपीओ के बाद भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकते हैं।

यह विषय कई नवीनतम तकनीकी स्टार्टअप के लिए प्रासंगिक है, जहां संस्थापक अक्सर प्रारंभिक चरणों में वेतन के बजाय ईएसओपी स्वीकार करते हैं।

जैसे-जैसे ये कंपनियाँ निवेशकों से धन जुटाती हैं, संस्थापकों की शेयरधारिता कम होती जाती है। इस मुद्दे पर सेबी ने 20 मार्च, 2025 को एक परामर्श पत्र जारी किया था, जिसमें जनता की राय मांगी गई थी।

विनियामक ईएसओपी के अनुदान और आईपीओ पत्रों को दाखिल करने के बीच एक साल की 'कूलिंग-ऑफ' अवधि शुरू करने पर भी विचार कर रहा है।

सेबी का मानना है कि आईपीओ से ठीक पहले ईएसओपी देने का दुरुपयोग हो सकता है। बैठक में एक और महत्वपूर्ण विषय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की स्वैच्छिक डीलिस्टिंग है।

इसके लिए सेबी एक नए ढांचे पर विचार कर सकता है, जो पीएसयू को शेयर बाजार से बाहर निकलने की अनुमति देता है, यदि सरकार के पास कंपनी के 90 प्रतिशत से अधिक शेयर हैं।

कई पीएसयू में कम सार्वजनिक शेयरधारिता, खराब वित्तीय स्थिति या पुराने व्यवसाय मॉडल हैं, जिससे उनकी निरंतर लिस्टिंग कम व्यवहारिक हो जाती है। इस मुद्दे पर एक चर्चा पत्र इस साल मई में जारी किया गया था।

सेबी, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अनुपालन नियमों को सरल बनाने पर भी चर्चा कर सकता है, जो केवल भारतीय सरकारी बॉंड (आईजीबी) में निवेश करते हैं।

इसके अलावा, सेबी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के लिए डिस्क्लोजर स्टैंडर्ड को सरल बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।

Point of View

सेबी की बोर्ड बैठक में उठाए जाने वाले मुद्दे हमारे वित्तीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन निर्णयों का प्रभाव न केवल स्टार्टअप्स पर पड़ेगा, बल्कि व्यापक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डालेगा। यह समय है जब हमें इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों को तैयार करना चाहिए।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

सेबी की बोर्ड बैठक में कौन से मुद्दे चर्चा में रहेंगे?
सेबी की बोर्ड बैठक में स्टार्टअप ईएसओपी, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की डिलिस्टिंग और विदेशी निवेशकों के नियमों पर चर्चा होगी।
ईएसओपी के नियमों में क्या बदलाव होने की संभावना है?
यह संभावना है कि संस्थापक अपने ईएसओपी को आईपीओ के बाद भी बनाए रख सकें, जिससे उन्हें लाभ होगा।