क्या अनिल विश्वास की 'किस्मत' पहली फिल्म है जिसने 1 करोड़ कमाए?

सारांश
Key Takeaways
- अनिल विश्वास ने भारतीय फिल्म संगीत को नई दिशा दी।
- 'किस्मत' फिल्म ने 1 करोड़ की कमाई कर इतिहास रचा।
- उनके गाने देशभक्ति और प्रेम की भावना को जगाते हैं।
- उन्होंने कई प्रसिद्ध गायकों को ब्रेक दिया।
- अनिल विश्वास का संगीत आज भी सुना जाता है।
मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आज जब हम किसी फिल्म को ब्लॉकबस्टर कहते हैं, तो वह कम से कम 100 करोड़ की कमाई करती है। समय सच में बदल गया है! 60 के दशक में करोड़पति फिल्म का टैग लगना भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था, तब एक फिल्म ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाई की थी? और वह फिल्म थी 'किस्मत', जो 1943 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म की सफलता का श्रेय संगीतकार अनिल विश्वास को दिया गया था। उन्होंने इस फिल्म के लिए जो संगीत तैयार किया, वह लोगों के दिलों को छू गया। 'आज हिमालय की चोटी से, फिर हमने ललकारा है...' जैसे गाने ने देशभक्ति की भावना भर दी, और 'धीरे धीरे आ रे बादल...' जैसी मधुर धुन ने हर दिल को छू लिया।
अनिल विश्वास का जन्म 7 जुलाई 1914 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के बरीसाल में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत में रुचि थी। किशोरावस्था में वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और जेल भी गए।
काम की तलाश में वे मुंबई आए और थिएटर में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे वे फ़िल्मी दुनिया में कदम रखे। शुरुआत में उन्होंने कलकत्ता की कुछ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, लेकिन असली पहचान उन्हें 'बॉम्बे टॉकीज' से मिली। उन्होंने फिल्मों में केवल अच्छे गाने ही नहीं दिए, बल्कि फिल्म संगीत की दिशा को भी बदल दिया।
'किस्मत' के बाद अनिल विश्वास हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रमुख संगीतकारों में से एक बन गए। उन्होंने मुकेश, तलत महमूद, लता मंगेशकर, मीना कपूर और सुधा मल्होत्रा जैसे गायकों को पहला ब्रेक दिया और उन्हें पहचान दिलाई।
1940 और 50 के दशकों में अनिल विश्वास का संगीत पूरे देश में छाया रहा। उस समय जब ज्यादातर गाने साधारण होते थे, अनिल दा ने उनमें गहराई और नई परतें जोड़ीं। उनकी रचनाएं आज भी ताजगी से भरी लगती हैं। 'अनोखा प्यार', 'आरजू', 'तराना', 'आकाश', 'हमदर्द' जैसी फिल्मों में उनका संगीत अद्वितीय था।
उन्होंने एक रागमाला बनाई, जिसमें चार अलग-अलग रागों को एक गीत में जोड़ा गया। यह प्रयोग उस समय अद्वितीय था।
संगीतकार के रूप में उन्होंने 1965 में रिलीज हुई 'छोटी छोटी बातें' के लिए काम किया। इस फिल्म के गाने 'जिंदगी ख्वाब है...' और 'कुछ और जमाना कहता है...' उनकी कलात्मक सोच का उदाहरण हैं। हालाँकि फिल्म की कहानी ने विशेष प्रभाव नहीं डाला, लेकिन इसका संगीत आज भी लोगों की जुबान पर है।
फिल्मों से संन्यास लेने के बाद अनिल विश्वास दिल्ली आ गए और संगीत शिक्षा में जुट गए। उन्होंने आकाशवाणी और संगीत नाटक अकादमी जैसे संस्थानों के साथ मिलकर कार्य किया।