क्या भूटान ने सच में दुनिया का पहला तंबाकू-मुक्त देश बनने का ऐतिहासिक कदम उठाया?

सारांश
Key Takeaways
- भूटान ने 2010 में तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया।
- यह निर्णय बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से प्रेरित था।
- तंबाकू की तस्करी में वृद्धि हुई, खासकर भारत से।
- सरकार ने तंबाकू छोड़ने के लिए सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया।
- यह नीति अन्य देशों के लिए एक केस स्टडी के रूप में कार्य करती है।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। आज से 15 वर्ष पूर्व, 15 जून 2010 को भूटान ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए खुद को विश्व का पहला ऐसा देश घोषित किया, जिसने तंबाकू पर संपूर्ण प्रतिबंध लगाया। हालाँकि, भूटान ने 2004 में ही तंबाकू की बिक्री पर आंशिक रोक लगा दी थी, लेकिन 2010 में पारित नए "तंबाकू नियंत्रण अधिनियम" ने इसे एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया, जिसमें तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर व्यापक रोक शामिल थी।
भूटान का यह निर्णय कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था, बल्कि यह एक दशक भर के प्रयासों का परिणाम था। भूटान की राष्ट्रीय विधानसभा ने 17 दिसंबर 2004 को देश भर में किसी भी प्रकार की तंबाकू बिक्री पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया, जिससे यह ऐसा कदम उठाने वाला दुनिया का पहले राष्ट्र बना।
इसके बाद, फरवरी 2005 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान भी प्रतिबंधित कर दिया गया।
भूटान में तंबाकू पर प्रतिबंध केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता नहीं थी, बल्कि इसकी गहरी जड़ें बौद्ध धर्म में भी थीं, जहाँ तंबाकू को "पाप" माना जाता है। इस प्रकार, यह प्रतिबंध स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था। वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 'संयुक्त राष्ट्र का धूम्रपान नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन' को भूटान द्वारा स्वीकार करने से इस नीति को और मजबूती मिली।
दिसंबर 2004 में बिक्री प्रतिबंध के बाद, 2005 से 2010 तक भूटान ने धीरे-धीरे अपने नियमों को और सख्त किया। इस कानून में न केवल तंबाकू की खेती, उत्पादन, वितरण और बिक्री पर रोक लगाई गई, बल्कि सरकार द्वारा तंबाकू छोड़ने की सुविधा प्रदान करने का भी प्रावधान था।
हालाँकि, इस सख्त प्रतिबंध के कुछ अप्रत्याशित परिणाम भी सामने आए। तस्करी में तेजी आई, खासकर भारत से तंबाकू की मांग के लिए एक काला बाजार विकसित हुआ। 2010 में सरकार ने सख्त जुर्माना और दंड का प्रावधान किया, जिसमें कुछ सालों की जेल की सजा भी शामिल थी, लेकिन इसके बावजूद प्रतिबंध के प्रभाव और इससे जुड़े विवाद बने रहे।
कुछ विरोधों के बाद 2012 में विभिन्न कानूनी संशोधन हुए। व्यक्तिगत उपभोग के लिए लाई जाने वाली तंबाकू की मात्रा की सीमा तय की गई, और सजाओं को तुलनात्मक रूप से हल्का किया गया।
वर्ष 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के चलते तस्करी पर अस्थायी रूप से असर पड़ा। इस दौरान, सरकार ने तस्करी को कम करने के लिए स्थानीय राज्य-स्वामित्व वाले ड्यूटी-फ्री आउटलेट्स में सीमित मात्रा में तंबाकू की बिक्री फिर से शुरू कर दी। हालाँकि, यह बहाली "अस्थायी" बताई गई और तंबाकू की खेती, उत्पादन और वितरण पर रोक जारी रही।
भूटान का यह तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध का सफर एक महत्वाकांक्षी, लेकिन चुनौतीपूर्ण प्रयास रहा है, जो दुनिया के अन्य देशों के लिए एक केस स्टडी के रूप में काम करता है। जहाँ भूटान ने स्वास्थ्य और धार्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी है, वहीं इस नीति के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को संतुलित करना भी एक लगातार चुनौती रहा है।