क्या भारत और जापान के बीच हो रहा है अभूतपूर्व उच्च-प्रौद्योगिकी रक्षा सहयोग?

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क्या भारत और जापान के बीच हो रहा है अभूतपूर्व उच्च-प्रौद्योगिकी रक्षा सहयोग?

सारांश

भारत और जापान के बीच सहयोग में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे दोनों देश अपने रक्षा संबंधों को एक नई ऊँचाई पर ले जा रहे हैं। जानिए इस पर विस्तृत जानकारी।

Key Takeaways

  • भारत और जापान के बीच उच्च-प्रौद्योगिकी रक्षा सहयोग की शुरुआत।
  • यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटेना का सह-विकास।
  • दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक पनडुब्बियों की तकनीक का साझा करना।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा।
  • दोनों देशों के बीच गहरा रणनीतिक भरोसा।

टोक्यो, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत और जापान एक नई दिशा में बढ़ते हुए दशकों पुरानी सीमाओं और पारंपरिक रक्षा साझेदारियों को पीछे छोड़कर ‘अभूतपूर्व उच्च-प्रौद्योगिकी रक्षा सहयोग’ की ओर अग्रसर हैं। टोक्योजापान फॉरवर्ड एसोसिएशन ने इस सप्ताह अपनी विस्तृत रिपोर्ट में यह जानकारी दी।

टाकुशोकू विश्वविद्यालय के इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजिक स्टडीज सेंटर में विजिटिंग प्रोफेसर पेमा ग्यालपो ने रिपोर्ट ‘जापान, इंडिया सिक्योरिटी कोऑपरेशन राइजेस अक्रॉस द बोर्ड’ में लिखा, “इंडो-पैसिफिक क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां तकनीकी श्रेष्ठता रणनीतिक परिणाम तय कर रही है। ऐसे में भारत और जापान का यह सहयोग पारंपरिक हथियार व्यापार से कहीं आगे जाकर संयुक्त रूप से अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के विकास, उत्पादन और तैनाती की दिशा में नया अध्याय खोल रहा है।”

दोनों देशों की दोस्ती को 2014 में स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप के स्तर पर ले जाया गया, जिसके बाद रक्षा आदान-प्रदान और भी मजबूत हुए। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को लेकर साझा दृष्टिकोण ने इस सहयोग को और गति दी है।

15 नवंबर 2024 को टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास में भारत और जापान के बीच यूनिफाइड कॉम्प्लेक्स रेडियो एंटेना मस्त के सह-विकास के लिए मेमोरेंडम ऑफ इम्प्लीमेंटेशन (एमओआई) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एंटेना नौसैनिक जहाजों पर लगाया जाएगा और इसके एकीकृत संचार तंत्र से प्लेटफॉर्म की स्टील्थ क्षमता में वृद्धि होगी। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जापानी सहयोग से विकसित करेगा।

यह भारत और जापान के बीच रक्षा उपकरण के सह-विकास का पहला मामला होगा। रिपोर्ट में बताया गया कि जापान अपने अत्याधुनिक मोगामी-क्लास फ्रिगेट्स पर लगी इस स्टील्थ तकनीक को साझा करने का फैसला कर, भारत को एशिया का केवल दूसरा देश (फिलीपींस के बाद) बना रहा है जिसे इतनी उच्चस्तरीय रक्षा तकनीक मिलेगी। यह निर्णय दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक भरोसे का प्रतीक है।

रडार प्रणालियों से आगे बढ़कर यह सहयोग पनडुब्बी तकनीक तक विस्तारित हो सकता है। जापान की सोर्यू-क्लास पनडुब्बियां, जिनमें लिथियम-आयन बैटरी प्रणोदन प्रणाली है, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक पनडुब्बियों में गिनी जाती हैं। 4,200 टन वजनी ये पनडुब्बियां फ्रांस की स्कॉर्पीन और जर्मनी की टाइप-214 से बेहतर स्टील्थ और सहनशक्ति प्रदान करती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, जापान के पास अत्याधुनिक तकनीक और निर्माण में सटीकता है, जबकि भारत विशाल बाजार, बढ़ती तकनीकी क्षमता और हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक गहराई प्रदान करता है। ग्यालपो का मानना है, “यूनिकॉर्न मस्त समझौता महज शुरुआत है, लेकिन यह आने वाले दशकों में क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरण को बदलने वाली प्रक्रिया की नींव रखता है।”

Point of View

जो न केवल दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगा।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत और जापान का रक्षा सहयोग क्यों महत्वपूर्ण है?
यह सहयोग दोनों देशों को तकनीकी रूप से मजबूत करेगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ाएगा।
यह सहयोग किस प्रकार की तकनीक को शामिल करेगा?
यह सहयोग स्टील्थ तकनीक, पनडुब्बी तकनीक और अन्य आधुनिक रक्षा प्रणालियों को शामिल करेगा।