क्या आर्थिक साइबर अपराधों के तीन बड़े कारण लालच, भय और लापरवाही हैं? : राजीव कृष्णा

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क्या आर्थिक साइबर अपराधों के तीन बड़े कारण लालच, भय और लापरवाही हैं? : राजीव कृष्णा

सारांश

उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने आर्थिक साइबर अपराधों के पीछे के तीन मुख्य कारणों का उल्लेख किया है। यह जानकारी कासगंज में आयोजित साइबर जागरूकता कार्यशाला के दौरान दी गई। जानें कैसे हम इन अपराधों से बच सकते हैं।

Key Takeaways

  • लालच, भय और लापरवाही आर्थिक साइबर अपराधों के मुख्य कारण हैं।
  • साइबर सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड और अपडेटेड सॉफ्टवेयर का होना आवश्यक है।
  • इंटरनेट का जिम्मेदारी से उपयोग करें।
  • साइबर अपराध की रिपोर्टिंग में गोल्डन टाइम फ्रेम का ध्यान रखें।
  • युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग से बचने की सलाह दी गई है।

लखनऊ, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्णा ने गुरुवार को कासगंज में आयोजित क्षेत्रीय स्तर पर साइबर जागरूकता कार्यशाला का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक साइबर अपराधों के तीन प्रमुख कारण, लालच, भय और लापरवाही हैं।

इस कार्यशाला में एडीजी जोन आगरा, डीआईजी अलीगढ़ रेंज, डीएम कासगंज, एसपी कासगंज, अलीगढ़, हाथरस और एटा के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक-छात्र, व्यापारिक संगठन, बैंकों के अधिकारी, सर्राफा एसोसिएशन के पदाधिकारी और ऑनलाइन माध्यम से जुड़े विभिन्न जिलों के साइबर सेल और पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।

डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल जीवनशैली ने समाज में बड़ा परिवर्तन लाया है। डिजिटल भुगतान, सोशल मीडिया और ऑनलाइन सेवाएं अब हर घर का हिस्सा बन चुकी हैं। भारत प्रति व्यक्ति डिजिटल वित्तीय लेन-देन में विश्व में पहले स्थान पर है, जबकि कोविड के बाद ई-कॉमर्स में अभूतपूर्व 60-70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

उन्होंने कहा कि इंटरनेट की सुविधा के साथ-साथ इसके दुरुपयोग में भी तेज वृद्धि हुई है, इसलिए इंटरनेट का जिम्मेदारी से उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है।

डीजीपी ने समाज पर बढ़ते साइबर अपराधों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि बच्चे साइबर बुलिंग, महिलाएं स्टॉकिंग और वरिष्ठ नागरिक डिजिटल अरेस्ट जैसी नई धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। विशेषकर एपीके फाइलों पर क्लिक करना सबसे खतरनाक है, जिससे पूरा फोन हैक हो जाता है।

नागरिकों को साइबर अपराध से बचाव के लिए तीन महत्वपूर्ण उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि ठगी होने पर तत्काल 1930 पर कॉल करें, गोल्डन टाइम फ्रेम (30 मिनट) के भीतर रिपोर्ट करें और सही तथ्यों की जानकारी उपलब्ध कराएं।

उन्होंने युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया की लत से बचने की सलाह दी और अभिभावकों को सतर्क रहने की अपील की।

पुलिस अधिकारियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की जांच एसओपी आधारित और सरल है, इसलिए थाना स्तर पर भी साइबर मामलों की पेशेवर जांच संभव है। नागरिक सहभागिता पर जोर देते हुए डीजीपी ने कहा कि मजबूत पासवर्ड, अपडेटेड सॉफ्टवेयर और सतर्कता साइबर सुरक्षा की बुनियाद हैं।

उन्होंने कहा, “सुरक्षित डिजिटल उत्तर प्रदेश तभी संभव है जब जनता और पुलिस दोनों मिलकर काम करें। साइबर क्राइम जितनी तेजी से बढ़ता है, उतनी ही तेजी से नियंत्रित भी किया जा सकता है। जरूरत केवल जागरूकता की है।”

Point of View

जो समाज को प्रभावित कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर साइबर सुरक्षा को महत्वपूर्णता दें और जागरूकता फैलाएं।
NationPress
20/11/2025

Frequently Asked Questions

आर्थिक साइबर अपराध क्या हैं?
यह अपराध डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके धोखाधड़ी करने के विभिन्न तरीकों को संदर्भित करते हैं।
इनसे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
ठगी होने पर तुरंत 1930 पर कॉल करें और सही जानकारी उपलब्ध कराएं।
साइबर अपराधों का प्रभाव कौन-कौन से वर्गों पर पड़ता है?
बच्चे, महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक इस अपराध का प्रमुख शिकार होते हैं।
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