क्या है ईरान और भारत के संबंध? किन चीजों का होता है व्यापार?

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क्या है ईरान और भारत के संबंध? किन चीजों का होता है व्यापार?

सारांश

भारत और ईरान के बीच का संबंध सदियों पुराना है, जो व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में समृद्ध रहा है। जानें, कैसे ये दोनों देश एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और किन चीजों का व्यापार होता है।

Key Takeaways

  • भारत और ईरान का संबंध हजारों वर्षों पुराना है।
  • 1950 में कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए।
  • ईरान से भारत कच्चा तेल, सूखे मेवे और रसायन आयात करता है।
  • भारत ईरान के लिए दवाओं का महत्वपूर्ण सप्लायर है।
  • दोनों देशों के बीच नियमित रक्षा वार्ता होती है।

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और ईरान के बीच का संबंध हजारों वर्षों पुराना है। दोनों देशों की सभ्यता अत्यंत प्राचीन है। कंट्रीमीटर्स के अनुसार, ईरान की मौजूदा जनसंख्या 89,608,157 है और यह 1,648,195 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह दुनिया का 17वां सबसे बड़ा देश है।

भारत और ईरान ने 1950 में कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। हालांकि, 1947 तक दोनों देशों के बीच भौगोलिक निकटता भी थी; भारत और ईरान एक-दूसरे की सीमाओं को साझा करते थे। विभाजन के बाद पाकिस्तान को मान्यता देने वाला पहला देश ईरान था। फिर भी, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में ईरान ने पाकिस्तान का समर्थन किया।

ईरान ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ युद्ध में अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। हालांकि, पाकिस्तान के साथ ईरान की दोस्ती ज्यादा समय तक नहीं रही और 1988 में मजार-ए-शरीफ में 11 ईरानी राजनयिकों की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच दूरी बढ़ गई।

इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में ईरान का दौरा किया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तेल व्यापार की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे, दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आया और 2001 तथा 2003 में, दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए तेहरान और नई दिल्ली में घोषणाओं पर हस्ताक्षर किए।

फिर भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर चर्चा शुरू हुई, वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखा था। इससे भारत और ईरान के बीच एक बार फिर अंतर्भेद देखने को मिला।

ईरान से भारत भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता था, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद कम हुआ, लेकिन पूरी तरह बंद नहीं हुआ। इसके अलावा, भारत ईरान के लिए दवाओं का महत्वपूर्ण सप्लायर है। भारत ईरान को चाय, चावल, गेहूं, चीनी, कॉफी और कपड़े का निर्यात कर रहा है। इसके अतिरिक्त, भारत ईरान के चाबहार पोर्ट और रेलवे प्रोजेक्ट में भी निवेश कर रहा है। भारत ईरान से तेल के अलावा सूखे मेवे (बादाम, पिस्ता, खजूर), केसर, रसायन समेत अन्य चीजें आयात करता है।

इसके अलावा, दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा, ट्रांजिट, फार्मा, आईटी और माइनिंग में सहयोग बढ़ा रहे हैं। भारत और ईरान रुपया और रियाल में व्यापार करते हैं। ईरान अंतर्राष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) में भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है।

इन दोनों देशों की संस्कृति में फारसी भाषा एक महत्वपूर्ण कड़ी है। भारत में फारसी ईरान से ही आई थी। भारत में सूफीवाद के प्रचार में भी ईरान का विशेष प्रभाव रहा है। कई सूफी संत जो भारत में प्रसिद्ध हुए, वे ईरान से ही आए थे।

भारत-ईरान रक्षा संबंधों की बात करें तो दोनों देशों का आतंकवाद के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट है। हालांकि, दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष रूप से कोई साझेदारी नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच नियमित रक्षा वार्ता होती है। इसके साथ ही, भारत और ईरान एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारी साझा करते हैं।

Point of View

हमें यह जानने की आवश्यकता है कि उनका व्यापारिक सहयोग आज भी महत्वपूर्ण है। हमे इन संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए।
NationPress
07/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत और ईरान के बीच व्यापार में क्या शामिल है?
भारत ईरान को चाय, चावल, गेहूं, दवा, और कपड़े का निर्यात करता है, जबकि ईरान से भारत कच्चा तेल, सूखे मेवे और रसायन आयात करता है।
ईरान और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध कैसे हैं?
फारसी भाषा और सूफीवाद दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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