क्या भारत एक समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा? : नौसेना प्रमुख

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क्या भारत एक समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा? : नौसेना प्रमुख

सारांश

भारतीय नौसेना प्रमुख ने भारत की प्राचीन समुद्री विरासत और इसकी सामरिक भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे समुद्र व्यापार को प्रभावित करता है और भारत का भविष्य समुद्री शक्ति पर निर्भर करता है। क्या आप जानते हैं कि भारत की पहचान एक समुद्री राष्ट्र के रूप में रही है? आइए जानते हैं इस पर विस्तार से।

Key Takeaways

  • भारत की प्राचीन समुद्री विरासत 6000 वर्ष पुरानी है।
  • भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है।
  • समुद्री शक्ति 'विकसित भारत 2047' के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण है।
  • भारतीय नौसेना ने हाल में राहत अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • नेतृत्व केवल पद से नहीं, बल्कि कर्म और उदाहरण से परिभाषित होता है।

नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भारत की प्राचीन समुद्री विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की पहचान एक समुद्री राष्ट्र के रूप में रही है। उन्होंने कहा कि लगभग 6000 वर्ष पूर्व हड़प्पा कालीन लोथल जैसे बंदरगाह शहरों से लेकर आज तक, भारत की पहचान एक समुद्री राष्ट्र की रही है।

गौरतलब है कि हड़प्पा कालीन लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, जो सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था। यह गुजरात में स्थित है और इसे दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात डॉकयार्ड माना जाता है। नौसेना प्रमुख, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह को संबोधित कर रहे थे। यहां उन्होंने गर्व के साथ कहा, “भारत समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा।”

उन्होंने बताया कि भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है और 99 प्रतिशत वैश्विक इंटरनेट डेटा समुद्र के नीचे बिछाए गए केबल्स से गुजरता है। ऐसे में ‘विकसित भारत 2047’ के सपने को साकार करने में समुद्री शक्ति की अहम भूमिका होगी।

उन्होंने भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य में समुद्र के सामरिक महत्व को रेखांकित किया। नौसेना द्वारा हाल में किए गए राहत अभियानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे पश्चिम एशिया के संकट में भारतीय नौसेना ने 400 से अधिक जानें बचाईं और 5.3 अरब डॉलर से अधिक के माल को सुरक्षित किया। उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों “सपना देखो, साहस करो और उसे साकार करो” के साथ यहां छात्रों को प्रेरित किया। आईआईएम रोहतक के इस इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा समेत फैकल्टी सदस्य भी मौजूद रहे।

इस वर्ष 1 जुलाई से पीजी बैच के 329 छात्रों और 8 शोधार्थियों ने नया शैक्षणिक सफर आरंभ किया है। इस अवसर पर छात्रों से किताबों से बाहर निकलकर व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करने की अपील की गई। छात्रों को अनुशासन, दृढ़ता, फोकस, आत्मप्रेरणा जैसी गुणों को अपनाने पर कहा गया। आईआईएम रोहतक के निदेशक प्रोफेसर धीरज शर्मा ने संस्थान के विजन को स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां प्रबंधन की शिक्षा को अनुशासन, उद्देश्य और राष्ट्रीय सेवा से जोड़ा जाता है। उन्होंने केस-आधारित शिक्षण पद्धति, ग्रामीण सहभागिता कार्यक्रम, इंडस्ट्री इंटरफेस और योग व समग्र स्वास्थ्य पर बल दिया।

इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल बलबीर सिंह संधू (सेवानिवृत्त) भी मौजूद रहे। उन्होंने नेतृत्व के मूलभूत गुणों - साहस, अनुशासन और चरित्र - पर जोर दिया। उन्होंने सेना के अनुभवों से उदाहरण देते हुए छात्रों को बताया कि विपरीत परिस्थितियों में नेतृत्व कैसे निभाया जाता है। नेतृत्व केवल पद से नहीं बल्कि कर्म और उदाहरण से परिभाषित होता है। कार्यक्रम में दो पैनल चर्चाएं भी हुईं - “वर्तमान व्यापार परिदृश्य में प्रबंधन स्नातकों से अपेक्षित क्षमताएं” और “एआई युग में नेतृत्व”, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

इसके अलावा, “भारतीय सशस्त्र बलों का योगदान: राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव के स्तंभ” विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में देश भर के शोधार्थियों ने भाग लिया। चार विजेताओं को 10,000 रुपए से 25,000 रुपये तक के नकद पुरस्कार प्रदान किए गए। यहां निदेशक प्रोफेसर धीरज शर्मा की नवीनतम पुस्तक “पावर ऑफ मूवीज” का विमोचन भी किया गया। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि कैसे सिनेमा जीवन की विविधताओं और सामाजिक बदलावों को दर्शाता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे फिल्मों के माध्यम से मानवीय भावनाओं और सामाजिक संरचनाओं को समझने का प्रयास करें।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की समुद्री विरासत न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य में भी हमारी आर्थिक और सामरिक शक्ति का आधार है। समुद्री व्यापार, संसाधनों की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से, समुद्र हमारे लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत की समुद्री विरासत क्या है?
भारत की समुद्री विरासत 6000 वर्ष पुरानी है, जिसमें हड़प्पा कालीन लोथल जैसे बंदरगाह शहर शामिल हैं, जो समुद्री व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं।
भारतीय नौसेना का वर्तमान में क्या महत्व है?
भारतीय नौसेना का महत्व समुद्री सुरक्षा, व्यापार और वैश्विक इंटरनेट डेटा की सुरक्षा में है, जो देश की आर्थिक वृद्धि में सहायक है।
भारत का व्यापार किस प्रकार से प्रभावित होता है?
भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है, जिससे यह स्पष्ट है कि समुद्र व्यापार के लिए आवश्यक है।
भारत का समुद्री भविष्य कैसा होगा?
भारत का समुद्री भविष्य 'विकसित भारत 2047' की दिशा में आगे बढ़ेगा, जिसमें समुद्री शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
नौसेना प्रमुख का संदेश क्या था?
नौसेना प्रमुख ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि 'सपना देखो, साहस करो और उसे साकार करो', जो नेतृत्व और समुद्री शक्ति के महत्व को दर्शाता है।