क्या आप बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए इन मंदिरों की यात्रा करना चाहते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- बुध ग्रह सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
- बुध ग्रह की पूजा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं।
- थिरुवेंकाडु मंदिर को बुध देव का एकमात्र मंदिर माना जाता है।
- बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
- बुध ग्रह की उपासना से बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 9 ग्रहों में से बुध ग्रह को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसे ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है। बुध ग्रह सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक है। इसके इष्ट देव भगवान गणेश और श्रीकृष्ण हैं। इस ग्रह को शांत और कोमल माना गया है। इसलिए, बुध स्वभाव से मधुर वाणी बोलने वाला ग्रह है। बुध देव के पिता का नाम चंद्र और माता का नाम देवी तारा है। बुध ग्रह के इष्ट देव भगवान गणेश हैं।
सूर्य और शुक्र बुध के मित्र ग्रह हैं, जबकि मंगल और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। जब बुध शुभ होता है, तो व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है। बुध उत्तर दिशा का स्वामी होता है, जिसे कुबेर देवता का स्थान माना जाता है।
बुध ग्रह सौरमंडल में सबसे तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है, और यह हमारे विचारों, शब्दों, तर्क और निर्णय लेने की क्षमता को नियंत्रित करता है। ज्योतिष में बुध को आमतौर पर सीखने, बहुमुखी प्रतिभा और प्रभावी अभिव्यक्ति से जोड़ा जाता है।
जिस जातक की कुंडली में बुध प्रधान हो या जिसकी कुंडली में बुध उच्च का हो, ऐसे जातक हंसमुख होते हैं और जीवन का भरपूर आनंद लेते हैं। ऐसे लोग हंसी-मजाक पसंद करते हैं।
बुध को वाणी का कारक माना गया है और यह कन्या और मिथुन राशियों पर स्वामित्व रखता है। कन्या इसकी उच्च राशि और मीन नीच राशि मानी जाती है।
बुध को शुभ ग्रह माना गया है। यह ग्रह बुद्धिमत्ता, विश्लेषण क्षमता, संचार कौशल और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। यदि बुध जातक की कुंडली में अनुकूल हो, तो जातक चतुर, बोलचाल में दक्ष और व्यापार में सफल होता है। इसके विपरीत होने पर विपरीत परिणाम मिलते हैं। यदि बुध पर शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे क्रूर ग्रहों का प्रभाव पड़े या वह नीच का होकर अशुभ भावों में स्थित हो, तो कुंडली में बुध दोष उत्पन्न होता है।
बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है।
अब हम देश के कुछ प्रमुख बुध देव के मंदिरों के बारे में बताते हैं, जहाँ जाकर दर्शन और पूजन करने से जातक को बुध ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
थिरुवेंकाडु बुध मंदिर, नागपट्टिनम (तमिलनाडु) में स्थित है। यह बुध देव का प्राचीन मंदिर है, जो कावेरी और मणिकर्णिका नदी के निकट है। इसे आदि चिदम्बरम के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ नवग्रह भी प्रतिष्ठित है, किंतु यहाँ मुख्य रूप से चार भुजाधारी बुध देव की पूजा का महत्व है। इस स्थान पर भगवान शिव का श्वेत रानेश्वर मंदिर भी स्थित है। थिरुवेनकादु को श्वेतअरण्य भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सफेद जंगल। ज्ञान अरण्य क्षेत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके पीछे मान्यता है कि देवराज इन्द्र के वाहन ऐरावत हाथी ने यहाँ तप किया था। यह उत्तर के बनारस के समान पवित्र माना जाता है। यहाँ बुध ग्रह की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालु बुध मंदिर की 17 बार परिक्रमा करते हैं। हर परिक्रमा में एक दीप जलाया जाता है। ऐसा करने से बुध ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं और बुध देव भक्त को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करते हैं।
इसके साथ ही, श्री नवग्रह मंदिर, कुंभकोणम (तमिलनाडु) जिसे दक्षिण भारत का प्रसिद्ध नवग्रह स्थल कहा गया है। बुध देव यहाँ पवित्र स्वरूप में विराजमान हैं। यहाँ भी इनकी पूजा होती है।
इसके साथ ही, श्री नवग्रह मंदिर, नौगांव (मध्य प्रदेश) यह मंदिर बुध ग्रह सहित सभी नवग्रहों को समर्पित है, और विशेषकर बुध दोष निवारण हेतु लोग यहाँ आते हैं।
हालांकि, थिरुवेंकाडु बुध मंदिर, नागपट्टिनम (तमिलनाडु) को भगवान बुध को समर्पित एकमात्र मंदिर माना गया है। इसलिए, बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए जातक को इस मंदिर में जाकर एक बार भगवान बुध की प्रतिमा का दर्शन और पूजन अवश्य करना चाहिए।