क्या बुधवार व्रत से सुख-समृद्धि के लिए विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करें?
सारांश
Key Takeaways
- गणेश जी की पूजा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत का आरंभ करें।
- व्रत के दौरान साफ वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
- गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं।
- बुध देव को हरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 10 दिसंबर दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। इसके बाद सप्तमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस समय सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में स्थित होंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं।
स्कंद पुराण में कहा गया है कि यदि किसी जातक के जीवन में बुध ग्रह से संबंधित दोष हैं, तो उन्हें बुधवार का व्रत रखना चाहिए। इस दिन गजानन महाराज की विधि-विधान से पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पौराणिक ग्रंथों में इस दिन पूजा की विधि बताई गई है, जिसके अनुसार इस व्रत को केवल 12 बुधवार तक किया जाता है। इसी के साथ घर में मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित है।
व्रत शुरू करने के लिए जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनने चाहिए। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी रखें। उस पर कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें, और ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके उस आसन पर बैठें। फिर भगवान गणेश को पंचामृत (जल, दूध, दही, शहद, घी) से स्नान कराएं और उन पर सिंदूर और घी का लेप लगाएं। जनेऊ और रोली के बाद कम से कम तीन दूर्वा और पीले, लाल पुष्प अर्पित करें। साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र और दाल भी चढ़ानी चाहिए।
लड्डू, हलवा, या मीठी चीजों का भोग लगाने के बाद श्री गणेश और बुध देव के मंत्रों का जाप करें। फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें। इसके बाद श्री गणेश और बुध देव की आरती करें।