क्या चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सीएक्यूएम ने बैठक की?

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क्या चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सीएक्यूएम ने बैठक की?

सारांश

चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सीएक्यूएम ने बैठक की है। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। क्या ये प्रयास वायु गुणवत्ता में सुधार लाने में सफल होंगे? जानें इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • सीएक्यूएम ने पंजाब सरकार के साथ मिलकर बैठक की।
  • पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन अभी बहुत कार्य बाकी है।
  • थर्मल पावर प्लांट्स के उत्सर्जन मानदंडों का पालन आवश्यक है।
  • फसल अवशेष प्रबंधन में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
  • राज्य सरकारों को सख्ती से लागू करना होगा।

नई दिल्ली, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। चंडीगढ़ में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और उसके आस-पास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ठोस कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के साथ एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

सीएक्यूएम के अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में पंजाब में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) को सुदृढ़ बनाने और पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए जमीनी स्तर पर गतिविधियों का मूल्यांकन करने हेतु क्षेत्रीय दौरे किए गए।

इन दौरे के दौरान आयोग ने पटियाला जिले के राजपुरा थर्मल पावर प्लांट, संगरूर जिले के लहरागागा में कंप्रेस्ड बायो-गैस (सीबीजी) प्लांट, मशीनों से पराली प्रबंधन की प्रक्रिया तथा बठिंडा जिले के लहरा मोहब्बत थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया।

लहरा मोहब्बत प्लांट के निरीक्षण के दौरान अध्यक्ष ने प्लांट की खराब परिचालन स्थिति और निर्धारित उत्सर्जन मानदंडों का पालन न करने पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधार नहीं किए गए, तो आयोग प्लांट बंद करने के आदेश जारी करने को बाध्य होगा।

टीम को पराली जलाने की कुछ छिटपुट घटनाएं भी मिलीं, जो समस्या की जटिलता को दर्शाती हैं। 15 सितंबर से 6 नवंबर 2025 तक पंजाब में पराली जलाने की 3,284 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष 2024 में इसी अवधि में 5,041 घटनाएं हुई थीं। यह मामूली सुधार तो दर्शाता है, लेकिन मुक्तसर और फाजिल्का जैसे जिलों में घटनाओं में वृद्धि चिंताजनक है।

आयोग ने पाया कि सितंबर 2025 तक चार थर्मल पावर प्लांट (पीएसपीसीएल के लहरा और रोपड़, टीएसपीएल-मानसा तथा एनपीएल-एलएंडटी) ने केवल 3.12 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष पेलेट का सह-दहन किया, जबकि 2025-26 के लिए 11.83 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य था।

आयोग ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने की समस्या को समाप्त करने के लिए अभी बहुत कार्य बाकी है। इसके बाद अध्यक्ष ने तत्काल प्रयास तेज करने, सशक्त जागरूकता अभियान चलाने, सीआरएम मशीनरी की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा सीबीजी संयंत्रों और उद्योगों को सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए।

वहीं, इसके साथ ही वायु प्रदूषण रोकने के लिए हरियाणा की कार्रवाइयों की समीक्षा में भी शनिवार को चंडीगढ़ में विस्तृत बैठक हुई। 15 सितंबर से 6 नवंबर 2025 तक हरियाणा में केवल 206 घटनाएं दर्ज हुईं, जबकि 2024 में 888 थीं। यह कमी प्रोत्साहन-आधारित और प्रवर्तन-संचालित दृष्टिकोण का परिणाम है। वित्तीय प्रोत्साहनों से किसानों के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है।

आयोग ने जोर दिया कि ठोस प्रयासों से पराली जलाने को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, आयोग ने हरियाणा में वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक स्रोत, निर्माण धूल, सड़क धूल तथा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अन्य प्रदूषण स्रोतों की समीक्षा की और इनके न्यूनीकरण के लिए कार्रवाई के निर्देश दिए।

आयोग ने क्षेत्र में स्थायी फसल अवशेष प्रबंधन और स्वच्छ वायु के लिए बेहतर समन्वय, कार्य योजनाओं का लक्षित क्रियान्वयन तथा वैधानिक निर्देशों के सख्त प्रवर्तन पर बल दिया। ये प्रयास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता सुधारने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, बशर्ते राज्य सरकारें इन्हें गंभीरता से लागू करें।

Point of View

NationPress
08/11/2025

Frequently Asked Questions

पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सीएक्यूएम ने पंजाब सरकार के साथ मिलकर उच्च-स्तरीय बैठक की है और जागरूकता अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
क्या पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है?
हालांकि कुछ मामलों में कमी आई है, लेकिन मुक्तसर और फाजिल्का जैसे जिलों में घटनाओं में वृद्धि चिंताजनक है।
आयोग ने कौन-कौन से थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया?
आयोग ने पटियाला, संगरूर और बठिंडा के थर्मल पावर प्लांट का निरीक्षण किया।
क्या हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं?
हाँ, हरियाणा में भी पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, लेकिन इसमें कमी आई है।
पराली जलाने की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?
स्थायी फसल अवशेष प्रबंधन और जागरूकता अभियान के माध्यम से पराली जलाने की समस्या का समाधान किया जा सकता है।