क्या दिल्ली ब्लास्ट केस के ट्रायल की निगरानी के लिए दाखिल पीआईएल पर हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार?

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क्या दिल्ली ब्लास्ट केस के ट्रायल की निगरानी के लिए दाखिल पीआईएल पर हाईकोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार?

सारांश

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में ट्रायल की निगरानी के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में सभी ट्रायल स्टेज की निगरानी हेतु कोर्ट की देखरेख वाली समिति बनाने की मांग की गई थी। क्या इससे पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय मिलेगा?

Key Takeaways

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार किया।
  • ट्रायल की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है।
  • याचिका में कोर्ट की निगरानी वाली समिति बनाने की मांग की गई थी।
  • दिल्ली कार ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए थे।
  • आमिर रशीद अली की हिरासत बढ़ाई गई है।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में ट्रायल की निगरानी हेतु दाखिल जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करने से मना कर दिया है। याचिका में ट्रायल के सभी चरणों की निगरानी के लिए अदालत की देखरेख वाली एक समिति गठित करने की मांग की गई थी।

एडवोकेट राजा चौधरी द्वारा दाखिल की गई याचिका में अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि ट्रायल के दौरान की कार्रवाई और हर महीने की स्थिति रिपोर्ट को ज्यूडिशियल कमेटी के समक्ष पेश किया जाए। याचिका में इसे देश की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा और दिल्ली की जनता की मानसिक सुरक्षा पर हमला बताया गया।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया था कि पीड़ितों के परिवार पूरी तरह से अंधेरे में हैं। उन्हें यह नहीं पता कि उनके प्रियजनों को क्यों मारा गया और किस ताकत ने यह हमला करवाया। ऐसे में ट्रायल की प्रक्रिया की निगरानी करना अत्यंत आवश्यक है।

हाईकोर्ट ने कहा कि अभी ट्रायल की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है। इसलिए ट्रायल के दौरान निगरानी संबंधी कोई आदेश जारी करना उपयुक्त नहीं होगा। इस कारण से याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया गया।

यह ब्लास्ट 10 नवंबर को लाल किले के बाहर हुआ था। इस हमले में 13 लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए थे। घटना ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर दी थी।

इस हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई थीं और मामले की जांच तेज कर दी गई थी। हालांकि, पीड़ितों के परिवार अब भी ब्लास्ट के कारण हुई त्रासदी और जिम्मेदारियों के बारे में पूरी जानकारी से वंचित हैं।

इस मामले में मंगलवार को पटियाला हाउस स्थित स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी आमिर रशीद अली की कस्टडी सात दिन और बढ़ाने की मंजूरी दी थी। अदालत का यह फैसला उस समय आया, जब आरोपी को उसकी 10 दिन की एनआईए रिमांड पूरी होने पर कोर्ट में पेश किया गया।

आमिर रशीद अली को 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने उसकी गिरफ्तारी के बाद अदालत से हिरासत बढ़ाने की मांग की थी ताकि ब्लास्ट से जुड़े महत्वपूर्ण सुराग और साजिश की परतें खोली जा सकें।

एनआईए के अनुसार, आमिर उस कार का रजिस्टर्ड मालिक है, जिसका इस्तेमाल आत्मघाती हमलावर ने धमाके के दौरान किया था।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम न्यायिक प्रक्रिया को सही तरीके से संचालित करें। दिल्ली ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण है, लेकिन पीड़ितों के परिवारों की चिंताओं को भी समझना चाहिए। देश की सुरक्षा और नागरिकों की मानसिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से क्यों इनकार किया?
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल अभी शुरू नहीं हुआ है, इसलिए निगरानी संबंधी कोई आदेश देना उचित नहीं होगा।
दिल्ली कार ब्लास्ट में कितने लोग मारे गए थे?
इस ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए थे।
याचिका में क्या मांगी गई थी?
याचिका में ट्रायल के सभी चरणों की निगरानी के लिए अदालत की देखरेख वाली समिति बनाने की मांग की गई थी।
आमिर रशीद अली की गिरफ्तारी कब हुई थी?
आमिर रशीद अली को 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।
एनआईए ने आमिर की हिरासत क्यों बढ़ाने की मांग की थी?
एनआईए ने ब्लास्ट से जुड़े सुराग और साजिश की परतें खोलने के लिए हिरासत बढ़ाने की मांग की थी।
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