क्या केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लोबल टाइगर डे पर बच्चों को पर्यावरण का महत्व बताया?

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क्या केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लोबल टाइगर डे पर बच्चों को पर्यावरण का महत्व बताया?

सारांश

ग्लोबल टाइगर डे पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताया। उन्होंने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत वृक्षारोपण की अपील की। इस मौके पर बाघों की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।

Key Takeaways

  • ग्लोबल टाइगर डे पर बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताया गया।
  • 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत वृक्षारोपण की अपील की गई।
  • भारत में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • बाघ संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
  • प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की जिम्मेदारी सभी की है।

नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ग्लोबल टाइगर डे के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में स्कूली बच्चों के साथ इस खास दिन का जश्न मनाया। इस मौके पर उन्होंने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत सभी से अपील की कि वे अपने घर और आस-पास के क्षेत्र में कम से कम एक पेड़ लगाएं ताकि पर्यावरण को स्वच्छ और हरित बनाया जा सके।

केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में बाघ संरक्षण के क्षेत्र में अद्वितीय प्रगति हुई है। जहां वर्ष 2014 में देश में 47 टाइगर रिजर्व थे, वहीं अब उनकी संख्या बढ़कर 58 हो गई है। न केवल बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि उनके संरक्षित क्षेत्रों का भी विस्तार किया गया है। भारत अब अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के तहत 97 देशों के साथ मिलकर बाघ संरक्षण, जैव-विविधता संरक्षण, पर्यावरण-पर्यटन और ज्ञान साझा करने की दिशा में काम कर रहा है।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर दिल्ली के चिड़ियाघर में बाघ संरक्षण पर आधारित एक सप्ताह लंबी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से स्कूली बच्चों को बाघों और उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें प्रकृति और आदिवासी संस्कृति के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को चिड़ियाघर का भ्रमण कराकर प्रकृति के प्रति उनके मन में जागरूकता पैदा करने का कार्य भी किया गया।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत देश के 58 टाइगर रिजर्व में दो लाख पेड़ लगाए गए हैं। इसके अलावा, अरावली क्षेत्र के 29 जिलों में देशी प्रजातियों के पेड़ों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली नर्सरियां स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में तीन नर्सरियों का वर्चुअल उद्घाटन भी किया गया। अरावली को हरा-भरा करने का यह अभियान प्रधानमंत्री के संकल्प का हिस्सा है, जिसके तहत 5 जून को दिल्ली में वृक्षारोपण कार्यक्रम शुरू किया गया था।

भूपेंद्र यादव ने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक विरासत को विकास के साथ संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने बाघ संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए चल रहे वैश्विक अभियानों के सकारात्मक परिणामों पर भी प्रकाश डाला। इस आयोजन ने बच्चों और आम लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Point of View

बल्कि यह देश में बाघ संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इस प्रकार के आयोजन से बच्चों में प्राकृतिक विरासत के प्रति संवेदनशीलता विकसित होती है, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्यक है।
NationPress
29/07/2025

Frequently Asked Questions

ग्लोबल टाइगर डे का महत्व क्या है?
ग्लोबल टाइगर डे बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा के महत्व को दर्शाता है।
भूपेंद्र यादव ने बच्चों को क्या सिखाया?
उन्होंने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण का महत्व बताया।
'एक पेड़ मां के नाम' अभियान क्या है?
'एक पेड़ मां के नाम' अभियान लोगों को अपने आस-पास एक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करता है।
भारत में बाघों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है?
भारत में बाघों की संख्या 2014 में 47 से बढ़कर अब 58 टाइगर रिजर्व तक पहुंच गई है।
इस आयोजन से बच्चों में क्या जागरूकता पैदा हुई?
इस आयोजन ने बच्चों में पर्यावरण और बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद की।