क्या राष्ट्रपति आज यूपी के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगी?

सारांश
Key Takeaways
- आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाएगा।
- यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा का केंद्र बनेगा।
- यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
- आयुष कक्षाओं में औसतन 300 मरीज रोजाना परामर्श लेते हैं।
- यह विश्वविद्यालय रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगा।
गोरखपुर, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गोरखपुर के दौरे के दूसरे दिन प्रदेश को आयुष विश्वविद्यालय की अनूठी सौगात देंगी। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था।
भटहट के पिपरी में स्थापित यूपी का पहला महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय केवल आयुर्वेद ही नहीं, बल्कि प्राचीन और पारंपरिक आयुष विधाओं की चिकित्सा और शिक्षा का भी केंद्र बनेगा। इसके माध्यम से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
इस विश्वविद्यालय का लोकार्पण मंगलवार (एक जुलाई) को देश की पहली नागरिक, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी। आयुष चिकित्सा, शिक्षा और मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यह विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष प्रोजेक्ट है।
यह आयुष विश्वविद्यालय भटहट क्षेत्र के पिपरी में 52 एकड़ जमीन पर स्थित है और इसकी स्वीकृत लागत 267.50 करोड़ रुपये है। जबकि इसका लोकार्पण मंगलवार को होगा, यहां आयुष ओपीडी का शुभारंभ 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जा चुका है। हाल ही में शाम के सत्र में भी ओपीडी शुरू हो चुकी है, जहां औसतन 300 मरीज प्रतिदिन आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी की ओपीडी में परामर्श लेते हैं।
ओपीडी की शुरुआत के बाद से अब तक सवा लाख से अधिक लोग आयुष चिकित्सकों से परामर्श का लाभ ले चुके हैं। लोकार्पण के बाद अस्पताल (आईपीडी, ओटी) शुरू होने से आयुष पद्धति से उपचार की बेहतरीन सुविधा भी उपलब्ध होगी। आयुष विश्वविद्यालय में 28 कॉटेज वाला बेहतरीन पंचकर्म भी तैयार है और जल्द ही लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
राज्य में आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने से आयुष हेल्थ टूरिज्म में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना से गोरखपुर का पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह संभावना और बढ़ जाती है। विश्वविद्यालय के आसपास के गांवों के लोग भी रोजगार के विभिन्न स्वरूपों से जुड़ सकते हैं।
इस आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने से किसानों की खुशहाली और युवाओं के लिए नौकरी-रोजगार का मार्ग प्रशस्त होगा। लोग आसपास उगने वाली जड़ी-बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे, जिससे किसानों को औषधीय खेती से लाभ होगा। आयुष विश्वविद्यालय व्यापक पैमाने पर रोजगार और सकारात्मक परिवर्तन का स्रोत बन सकता है।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने से पहले आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, और सिद्धा चिकित्सा पद्धतियों का नियमन अलग-अलग संस्थाओं द्वारा किया जाता था। परंतु, अब राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कॉलेजों (वर्तमान में 98) का नियमन इसी विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला और गोरखपुर का चौथा विश्वविद्यालय है। गोरखपुर में पहले से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय हैं, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के बड़े केंद्र के रूप में जाने जाते हैं।
गोरखपुर अब उन चुनिंदा जिलों में शामिल हो गया है जहां चार विश्वविद्यालय संचालित हैं। आने वाले दिनों में यहां पांचवें विश्वविद्यालय की भी स्थापना होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के रूप में पांचवें विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की है और इसके लिए जमीन भी चिह्नित की जा चुकी है।