क्या ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश और हिजबुल ने पीओके को छोड़ खैबर पख्तूनख्वा में ठिकाना बना लिया है?

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क्या ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश और हिजबुल ने पीओके को छोड़ खैबर पख्तूनख्वा में ठिकाना बना लिया है?

सारांश

क्या जैश और हिजबुल ने अपनी रणनीतियों को बदलते हुए पीओके को छोड़कर खैबर पख्तूनख्वा में नए ठिकाने बना लिए हैं? जानिए इस रिपोर्ट में इन आतंकवादी संगठनों की नई गतिविधियों के बारे में।

Key Takeaways

  • जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन खैबर पख्तूनख्वा में नए ठिकाने बना रहे हैं।
  • ऑपरेशन सिंदूर ने पीओके में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया।
  • पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों को संरक्षण दे रही है।
  • खैबर पख्तूनख्वा का उपयोग आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में हो रहा है।
  • यह स्थिति भारत और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने अपने ठिकाने को अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।

वास्तव में, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कम-से-कम नौ प्रमुख आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप, ये आतंकवादी संगठन अब अपने ठिकानों को पीओके से स्थानांतरित कर रहे हैं। सुरक्षा से जुड़े इंटेलिजेंस सूत्रों और कुछ उपलब्ध वीडियो के अनुसार, आतंकवादी समूह अब पीओके को असुरक्षित मान रहे हैं, यही कारण है कि वे खैबर पख्तूनख्वा को नया ठिकाना बना रहे हैं।

इसकी मुख्य वजह है- भौगोलिक गहराई, अफगान सीमा की निकटता, और पहले से मौजूद जिहादी पनाहगाहें। यह पूरा कार्य पाकिस्तान की राज्य संरचनाओं के सीधे सहयोग से हो रहा है। 14 सितंबर 2025 को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से सात घंटे पहले, पाकिस्तान के गढ़ी हबीबुल्लाह में जैश-ए-मोहम्मद ने एक 'धार्मिक जलसे' के नाम पर एक बड़ा भर्ती अभियान चलाया, जिसमें जेयूआई (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम) की भी भूमिका रही। सभा को मौलाना मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी ने संबोधित किया, जो जैश का केपीके और कश्मीर प्रभारी है और भारत का वांछित आतंकवादी है।

सभा में जेईएम आतंकवादी खुलेआम एम-4 राइफल के साथ उपस्थित थे और स्थानीय पुलिस, विशेषकर गढ़ी हबीबुल्लाह थाने के इंस्पेक्टर लियाकत शाह, उनकी सुरक्षा में तैनात थे। मसूद इलियास ने 30 मिनट तक ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा की, उसे “शोहदा-ए-इस्लाम” और “प्रिंस ऑफ अरब” बताया और जैश की विचारधारा को अल-कायदा से जोड़ा। उसने कहा कि कंधार हाईजैक और मसूद अजहर की रिहाई के बाद बालाकोट जैश का गढ़ बना।

सूत्रों के अनुसार, इस रैली का उद्देश्य मंसेहरा स्थित जैश के मरकज ‘शुहदा-ए-इस्लाम’ में नई भर्ती करना था, जहां प्रशिक्षण ढांचे को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, जैश 25 सितंबर को पेशावर के मरकज शहीद मकसूदाबाद में एक बड़ा आयोजन करने जा रहा है। यह सभा मसूद अजहर के भाई यूसुफ अजहर (जो ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया) की याद में होगी। यह कार्यक्रम जैश के नए नाम अल-मुराबितून के तहत होगा, जिसका अर्थ है ‘इस्लाम की भूमि के रक्षक’, और यह नया नाम इसलिए अपनाया गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद का नाम न लेना पड़े।

इनपुट बताते हैं कि हिजबुल मुजाहिद्दीन भी लोअर दिर के बांदाई इलाके में नया कैंप “एचएम 313” स्थापित कर रहा है। इसके नेतृत्व का कार्य पूर्व पाकिस्तानी कमांडो खालिद खान कर रहा है। 313 नाम गजवा-ए-बदर और अल-कायदा की ब्रिगेड 313 का संदर्भ देता है। यह केंद्र अब कश्मीर में घुसपैठ की साजिश और वैश्विक जिहादी नेटवर्क से जोड़ने का ठिकाना बनने की तैयारी में है।

मसूद इलियास कश्मीरी का जन्म पाक अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में हुआ था। 2001 में वह जेईएम में शामिल हुआ और 2001-06 तक अफगानिस्तान में नाटो के खिलाफ लड़ा। 2007 में लौटकर उसने मरकज शुहदा-ए-कश्मीर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया। वह 2018 के जम्मू के सुंजवान आर्मी कैंप हमले का मास्टरमाइंड है। 2019 में लश्कर–जैश के संयुक्त “हिलाल-उल-हक ब्रिगेड” (कवर नाम – पीपुल्स एंटी फासीस्ट फ्रंट) का नेतृत्व किया।

अब ये आतंकवादी जेईएम और पीपुल्स एंटी फासीस्ट फ्रंट दोनों का संचालन कर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान की प्रॉक्सी युद्ध मशीनरी को नई ताकत मिल रही है। आतंकवादी भारतीय सेना के डर से पीओके को छोड़कर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा को एक सुरक्षित पनाहगाह बना चुके हैं। पीओके अब आगे की घुसपैठ का अड्डा रहेगा जबकि खैबर पख्तूनख्वा रीयर कमांड जोन के रूप में इस्तेमाल होगा। इस पूरे मामले में पाकिस्तान पुलिस और सेना की प्रत्यक्ष मिलीभगत उजागर हुई है।

पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद विरोधी छवि प्रस्तुत करता है, लेकिन भीतर ही भीतर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को संरक्षण देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है, क्योंकि मसूद इलियास कश्मीरी ने भारत के साथ-साथ अमेरिका और इजराइल को भी निशाना बनाया है। यह घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनाए हुए है और एक नया जिहादी गढ़ बनाने की कोशिश में है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की प्रॉक्सी युद्ध मशीनरी अब भी सक्रिय है। यह स्थिति न केवल भारत, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

जैश और हिजबुल ने अपने ठिकाने क्यों बदले?
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना द्वारा पीओके में आतंकवादी ठिकानों के नष्ट होने के बाद, इन संगठनों ने खैबर पख्तूनख्वा में नई पनाहगाहें बनाने का निर्णय लिया है।
क्या पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों की सहायता कर रही है?
हां, खुफिया स्रोतों के अनुसार, पाकिस्तान की राज्य संरचनाएं इन आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों में प्रत्यक्ष मदद कर रही हैं।
इन आतंकवादी संगठनों का भविष्य क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि ये संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं, जिससे वैश्विक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।