क्या जाति जनगणना का कार्य देशहित में ईमानदारी से पूरा होना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- जातीय जनगणना का कार्य ईमानदारी से पूरा होना चाहिए।
- मायावती ने इस मुद्दे पर सरकार से अपील की है।
- जनगणना से गरीबी और बेरोजगारी को समझने में मदद मिलेगी।
- पार्टी के संगठन को मजबूत करने की प्रक्रिया जारी है।
- केंद्र सरकार को इस दिशा में ध्यान देना आवश्यक है।
लखनऊ, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर जातीय जनगणना के संदर्भ में सरकार से आग्रह किया है कि जनगणना का कार्य देशहित में पूरी ईमानदारी से पूरा होना चाहिए।
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा कि भाजपा ने केंद्र में अपने 11 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख किया है, लेकिन जमीनी हकीकत में लोगों की गरीबी, बेरोजगारी, और दुख-दर्द को दूर करने में ये उपलब्धियाँ कितनी प्रभावी रही हैं, इसका जवाब जनता खुद देगी।
उन्होंने आगे कहा कि देश में राष्ट्रीय और जातीय जनगणना की प्रक्रिया कांग्रेस के समय से लटकी हुई थी, लेकिन अब इस मुद्दे पर ध्यान दिया जा रहा है। जनकल्याण से जुड़ा यह कार्य अब समय पर और ईमानदारी से पूरा होना चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देना आवश्यक है।
मायावती ने कहा कि पार्टी के सदस्यों को सही जानकारी देने और जागरूक करने का कार्य जारी है। उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में पार्टी के संगठन से संबंधित कार्यों की समीक्षा की जा रही है। यह अभियान लगातार चल रहा है। हाल ही में पूर्वांचल में पार्टी संगठन की तैयारी और जनाधार को बढ़ाने के लिए बैठक हुई।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। अब जातीय जनगणना का रास्ता साफ हो गया है। मार्च 2027 की रेफरेंस तिथि से पूरे देश में जातीय जनगणना कराई जाएगी। अक्टूबर 2026 में पहाड़ी राज्यों में इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।