क्या जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन बिहार चुनाव से पहले का लॉलीपॉप है? : उमंग सिंघार

सारांश
Key Takeaways
- जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- उमंग सिंघार के बयान से सियासी हलचल बढ़ी है।
- केंद्र सरकार को जल्द स्पष्टता देनी चाहिए।
- राहुल गांधी का योगदान महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति बनाई है।
खंडवा, १८ जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन पर मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाते हुए कहा है कि यह नोटिफिकेशन बिहार विधानसभा चुनाव से पहले का लॉलीपॉप है।
उमंग सिंघार ने बुधवार को खंडवा जिले के दौरे के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार का यह नोटिफिकेशन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा देशभर में जगाई गई अलख का परिणाम है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या जातिगत जनगणना २०२९ से पहले होगी।
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने देश में अलख जगाई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है और इस पर नोटिफिकेशन जारी किया गया। लेकिन केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या चुनाव के पहले जातिगत जनगणना होगी? क्या महिला आरक्षण मिलेगा? क्या चुनाव के पहले परिसीमन होगा? उन्हें नहीं लगता कि ये सब चुनाव के पहले हो पाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। यह सब बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दिया गया एक लॉलीपॉप है, वास्तव में यह सब लोकसभा चुनाव से पहले होना चाहिए।
हाल ही में जातिगत जनगणना के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसके बाद से सियासी दलों में बयानबाजी का दौर जारी है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना का सच्चा हिमायती बताया जा रहा है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर देशव्यापी अभियान चलाया और इसी के चलते केंद्र सरकार को नोटिफिकेशन जारी करना पड़ा। कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार और भाजपा की मंशा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। दोनों राजनीतिक दलों की ओर से यह बताने की कोशिश की जा रही है कि जातिगत जनगणना का फैसला उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है। इसके लिए राजनीतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।