क्या कन्हैया कुमार ने सुपौल में जाति जनगणना की मांग उठाई?

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क्या कन्हैया कुमार ने सुपौल में जाति जनगणना की मांग उठाई?

सारांश

कन्हैया कुमार ने सुपौल में जाति जनगणना की मांग करते हुए रोजगार और न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया। क्या यह कदम बिहार की सामाजिक स्थिति को सुधार सकता है?

Key Takeaways

  • जाति जनगणना की मांग बिहार की सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम है।
  • कन्हैया कुमार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा हटाने की बात की।
  • सामाजिक विभाजन को समाप्त करने के लिए मोहब्बत और सामाजिक एकता का महत्व।

सहरसा, १४ जून (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने शनिवार को बिहार के सुपौल में आयोजित सामाजिक न्याय संवाद कार्यक्रम में जाति आधारित जनगणना की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि बिहार जैसे राज्यों में रोजगार, न्याय और समान भागीदारी की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

यह कार्यक्रम बसबिट्टी रोड पर स्थित एक निजी होटल में आयोजित किया गया, जहां कन्हैया कुमार का कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी और समर्थक भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में कन्हैया कुमार ने कहा कि जब तक जाति जनगणना नहीं होगी, तब तक यह स्पष्ट नहीं होगा कि किसे क्या मिल रहा है और किसे क्या मिलना चाहिए। यदि किसी समाज की जनसंख्या ६५ प्रतिशत है, तो उसे ६५ प्रतिशत भागीदारी भी मिलनी चाहिए। उन्होंने सरकारी नौकरियों में ५० प्रतिशत आरक्षण की सीमा को हटाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि समान अवसर और न्याय की नींव तभी मजबूत होगी जब हर वर्ग को उसके हिस्से का अधिकार दिया जाएगा। साथ ही, कन्हैया ने केंद्र सरकार और सत्ताधारी दलों पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में नफरत फैलाने का कार्य कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस मोहब्बत से दिलों को जोड़ने का कार्य कर रही है।

इस दौरान, उन्होंने एक कहानी साझा की, "एक संत नदी में स्नान कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक बिच्छू डूब रहा है। संत ने उसे बचाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन बिच्छू ने डंक मार दिया। शिष्य ने कहा कि वह तो डंक मारेगा ही, लेकिन संत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि बिच्छू का स्वभाव डंक मारना है और मेरा स्वभाव है उसे बचाना।"

इस कहानी के माध्यम से कन्हैया ने यह संदेश दिया कि नफरत फैलाने वालों का स्वभाव बांटने का होता है, जबकि जो लोग सच्चे अर्थों में धर्म, दर्शन और इंसानियत को समझते हैं, वे जोड़ने का कार्य करते हैं।

कन्हैया कुमार ने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "यदि कोई मंदिर जाता है, तो मंदिर में झंडा लगाए, मस्जिद जाने वाला मस्जिद में लगाए। लेकिन किसी को मजबूर क्यों किया जा रहा है कि वह दूसरे धर्मस्थल में झंडा लगाए? यह सब लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है। जो आज सत्ता में हैं, वे लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रहे हैं, लेकिन जनता अब जागरूक है और वह नफरत के एजेंडे को नकारेगी।"

इस अवसर पर कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष राज नारायण गुप्ता, सुपौल विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी मिन्नत रहमानी, सहित जिले के कई प्रमुख कांग्रेस नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Point of View

जो बिहार में सामाजिक ताने-बाने को समझने में सहायक हो सकता है। यह कदम न केवल रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद कर सकता है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

कन्हैया कुमार ने जाति जनगणना की मांग क्यों की?
कन्हैया कुमार ने जाति जनगणना की मांग इसलिए की ताकि यह समझा जा सके कि समाज के विभिन्न वर्गों को क्या मिल रहा है और किसे क्या मिलना चाहिए।
जाति जनगणना की आवश्यकता क्यों है?
जाति जनगणना की आवश्यकता इसलिए है ताकि सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी और अवसर मिल सकें।