क्या रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय को मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी किया जाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- न्याय की आवश्यकता: उपाध्याय ने न्यायपालिका में विश्वास जताया है।
- जांच में खामियां: उन्होंने जांच के दौरान कई खामियों का आरोप लगाया।
- आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार: उपाध्याय का कहना है कि उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा।
- धैर्य और संघर्ष: उपाध्याय का संघर्ष न्याय की प्रतीक है।
- सामाजिक समर्थन: उनके परिवार को भी समर्थन की आवश्यकता थी।
पुणे, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय को पूरी उम्मीद है कि उन्हें बरी किया जाएगा। इस मामले में विशेष एनआईए कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाने वाली है।
उपाध्याय ने कहा है कि जांच में कई खामियां थीं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, आर्थिक रूप से बर्बाद किया गया और सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया गया। उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया, और नौ साल जेल में बिताने के दौरान उनके परिवार को कष्ट सहना पड़ा।
जेल में रहते हुए भी उन्होंने सात जेलरों और दो इंस्पेक्टरों को निलंबित करवाया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बच्चों को धमकाया गया था। उपाध्याय ने ये अनुभव साझा करते हुए जांच की खामियों और गलत तरीके से फंसाए जाने का आरोप लगाया।
उपाध्याय ने कहा, "उन पुलिसकर्मियों पर शर्मिंदगी होती है, जिन्होंने साजिश रचकर मुझे फंसाया और देशभक्तों को आतंकवादी घोषित करने का प्रयास किया। मैं 2002 से 16 प्रमुख धर्मों का अध्ययन कर रहा हूँ ताकि यह समझ सकूं कि सभी लोग मिलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकते हैं। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में और अन्य आरोपियों को साजिश के तहत फंसाया गया।"
उन्होंने दावा किया कि 17 वर्षों में भगवान का न्याय दिखा और उन्हें पूरा विश्वास है कि अदालत भी उन्हें बरी करेगी।
उपाध्याय के अनुसार, ट्रायल पूरा हो चुका है, और अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं पेश कर पाया। गवाहों ने क्रॉस-एक्जामिनेशन में अपने बयान बदले। उन्होंने कहा कि एनआईए ने चार-पांच साल बाद सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कुछ लोगों को मुकदमे से बरी किया गया, और एटीएस की मूल चार्जशीट पर सवाल उठाए गए। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन पर मकोका और यूएपीए जैसे सख्त कानून लगाए, लेकिन नौ साल की कानूनी लड़ाई के बाद इन्हें हटा लिया गया क्योंकि उनका कोई सीधा कनेक्शन साबित नहीं हुआ। उपाध्याय ने खुद को राष्ट्रप्रेमी और धार्मिक बताते हुए कहा कि यह केस शुरू से ही ध्वस्त हो जाना चाहिए था। उन्होंने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा, "भले ही गति धीमी हो, लेकिन मुझे यकीन है कि मेरा हक में ही फैसला आएगा।"