क्या शुक्रवार को व्रतधारी करें महालक्ष्मी मंत्र का जाप, मिलेगा समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद?
सारांश
Key Takeaways
- शुक्रवार का व्रत समृद्धि और सौभाग्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- महालक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
- पूजा विधि का पालन करें।
- गरीबों को दान देना पुण्य प्रदान करता है।
- सुख-शांति के लिए लक्ष्मी चालीसा पढ़ें।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि शुक्रवार को है। इस दिन सूर्य राशि में और चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। इस तिथि को कोई भी विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़े दोषों को दूर करने के लिए भी रखा जाता है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
ब्रह्मवैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण में शुक्रवार व्रत करने का उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस दिन माता लक्ष्मी, संतोषी और शुक्र ग्रह के लिए विधि-विधान से पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन-धान्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर होते हैं और माता रानी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।
अगर कोई भी जातक व्रत को शुरू करना चाहता है, तो किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से कर सकता है। आमतौर पर 16 शुक्रवार तक व्रत रखने के बाद उद्यापन किया जाता है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें। लाल कपड़े पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और मिठाई का भोग लगाएं। ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें। साथ ही महालक्ष्मी मंत्र 'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' का जाप करें। ये जाप समृद्धि और सौभाग्य पाने के लिए किया जाता है। 'विष्णुप्रियाय नमः' का जप भी लाभकारी है।
पूजा के अंत में कमल पुष्प अर्पित करें, लक्ष्मी चालीसा पढ़ें। प्रसाद में खीर, मिश्री और बर्फी बांटें। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।