क्या संतान प्राप्ति के लिए करें स्कंद षष्ठी व्रत, मिलेगा भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद?

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क्या संतान प्राप्ति के लिए करें स्कंद षष्ठी व्रत, मिलेगा भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद?

सारांश

सोमवार को मनाई जाने वाली स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन का व्रत संतान प्राप्ति, सुख, शांति और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है। जानिए इस खास दिन की पूजा विधि और महत्व।

Key Takeaways

  • स्कंद षष्ठी संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण है।
  • भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि का पालन करें।
  • इस दिन विशेष ध्यान और श्रद्धा से पूजा करें।

नई दिल्ली, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। सोमवार को स्कंद षष्ठी का पर्व है। यह दिन भगवान कार्तिकेय (स्कंद) को समर्पित है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन का व्रत संतान प्राप्ति के साथ-साथ सुख, शांति और स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से पूजा और व्रत द्वारा मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है।

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 30 जून को सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इसके बाद षष्ठी तिथि आरंभ होगी। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में होंगे और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे। दृक पंचांग के अनुसार, 30 जून को पंचमी तिथि सुबह 9 बजकर 23 मिनट तक रहेगी, और उसके बाद षष्ठी तिथि शुरू होगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा, जबकि राहूकाल 7 बजकर 11 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

स्कंद पुराण के अनुसार, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। भगवान कार्तिकेय ने इस दिन तारकासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिसके बाद इस तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाना शुरू किया गया। इस जीत की खुशी में देवताओं ने स्कंद षष्ठी का उत्सव मनाया।

जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें इस दिन स्कंद षष्ठी का व्रत अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है।

इस दिन व्रत आरंभ करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और आसन बिछाएं। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा करें।

इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान कार्तिकेय को वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा है, इसी कारण इस दिन को स्कंद षष्ठी, कांडा षष्ठी और चंपा षष्ठी भी कहा जाता है।

भगवान कार्तिकेय की आरती और तीन बार परिक्रमा करने के बाद “ॐ स्कन्द शिवाय नमः” का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके बाद आरती का आचमन करें, आसन को प्रणाम करें और प्रसाद ग्रहण करें।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम धार्मिक पर्वों की महत्ता को समझें। स्कंद षष्ठी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि यह परिवार में सुख और समृद्धि लाने का भी प्रतीक है। इस प्रकार के पर्व समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देते हैं।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व क्या है?
स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा से संतान सुख, सुख-शांति और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है।
स्कंद षष्ठी का व्रत कैसे करें?
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा स्थल को शुद्ध करें, फिर भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
क्या स्कंद षष्ठी पर विशेष पूजा विधि है?
हाँ, इस दिन विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है जिससे विशेष लाभ प्राप्त होता है।